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मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

मन आंधी

मन में चलती है आंधी या मन ही है आंधी
नव प्रकार के नव विचार
कल्पनाओं के इश्वर ने , रच दिया नव संसार
ह्रदय व्याकुल है , उठी वेदना
फिर उमड़ी मन की आंधी
कभी तीव्र कभी मंद गति से करती,
मन को बेकल मन की आंधी
मन में चलती है आंधी या मन ही है आंधी
हवा के रुख को मोड़ा किसने?
कुछ अच्छे कुछ मलिन विचारों को
लेकर उड़ चली मन की आंधी

मन नौका

मन नौका विचरती है विचारों के सागर पर












आश निराश के मौजों में डगमगाती इधर उधर









कहीं गहरा तो कहीं उथला है सागर









सुख दुःख के दो पतवारों से पार करनी है तूफानी डगर









उम्मीदों के टापू मिलते









व्याकुलता तज , कुछ क्षण को जाते ठहर









अरमानो का पंक्षी उड़ जाता है









बेबस होकर पुन: वापस आए लौट कर



मन नौका विचरती है विचारों के सागर पर