हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

शनिवार, 10 अप्रैल 2010

मानता हूँ ......(कविता ).......नीशू तिवारी

"प्रेम के वशीभूत होकर
सात फेरे में बधनें के
अपराध की सजा
जिन्दा जला कर दी जाती है
लेकिन
खापों और पंचायतों के
कूर्र्तापूर्ण फैसले को
इसकी परिणति
नहीं मानता हूँ


"दर्द से तड़पता
हादसे का शिकार हुआ इन्सान
दम तोड़ देता है
इलाज के आभाव में
लेकिन
मानवता के दंश व अभिशाप
के बीच
दर्दनाक मौत को ,
चटकारे लेकर पढ़ा जाना
साहस नहीं
कायरता मानता हूँ"


"दंतेवाडा में सैनिक
खून की होली खेल
शहीद हो जाता है
लेकिन
तानाशाहों की
नम आँखों को
गहरे जख्मों पर
मरहम नहीं
प्रहार मानता हूँ"