दुनिया के कोलाहल से दूर
चारों तरफ़ फैली है शांति ही शांति
अपने कहलाने वालों के अहसास से दूर है जो
फिर भी मिलता है सुकून उस ओर
दुनिया के लिए कहलाता है जो शमशान यहाँ