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गुरुवार, 16 जुलाई 2009

ताजमहल

ताजमहल के नीचे तहखाने में
कुलबुलाने लगती हैं दो आत्मायें
चिपट जाती हैं वे एक दूसरे से
कहीं कोई अलग न कर दे उन्हें
दबे पाँव बाहर आती हैं
अपनी ही रची सुंदरता को निहारने
पर ये क्या ?
बाहर देखा तो यमुना जी सिमटती नजर आयीं
दूर-दूर तक गड़गड़ करती मशीनें
कोलाहल और धुँओं के बीच
काले पड़ते सफेद संगमरमर
कैमरों के फ्लैश के बीच
उनकी बनायी सुंदरता पर दावे करते लोग
अचानक उन्हें ताज दरकता नजर आया
वे तेजी से भागकर
अपनी-अपनी कब्रों में सिमट गए !!
कृष्ण कुमार यादव