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शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

अँधियारा और आशा.....(कविता)......जोगिन्दर



थका हारा बैठा मुसाफिर

जाने कौन कहाँ से आया

और

दरवाजा खटखटाया ...

मैं न हिलूंगा

मैं नहीं खोलूँगा द्वार

मैंने ठान लिया था


मुझे मालूम था

इस अंधियारे द्वार कोई नहीं आया होगा

शायद दरवाजा खुद ब खुद हवाओं ने ही खटखटाया होगा

मैं सोचता रहा

मैं न हिलूंगा अब

अब मैं थक गया हूँ


ये अँधियारा अब

मन भाने लगा है

ये घर का एक कोना

अब यही पूरा घर बन गया है

मैं न हिलूंगा अब

मैं न जाऊंगा उस पार ।


उस पार न जाने क्या होगा

होगा अँधियारा घना

होऊंगा मैं फिर से अकेला

तो क्यों जाऊँ मैं

मुझे अब इसी तन्हाई से प्यार है

मुझे बस मुझसे ही प्यार है


मैं न जाऊंगा कहीं

मैं न हिलूंगा अब

मैं न खोलूँगा द्वार अपने

न खोलने की द्वार

मन में सोच

बैठा रहा मैं अकेला

सिर्फ अकेला

अपने साथ अपने पास ।


आज फिर लगा क़ि

किसी ने दरवाजा खटखटाया

मुझे लगा क़ि आज फिर कोई आया

पर मुझे पता था क़ि

हमेशा की तरह ही कोई नही आया होगा ।


मेरे मासूम मन के

किसी कोने से आवाज आई

"कौन है "

पहले कोई उत्तर न मिला

मेरे मन ने दोबारा आवाज लगाई

"कौन है "


प्रत्युतर में सुना मैंने

"आशा हूँ मैं "

मेरे मन ने कहा

"यहाँ क्यों आई हो ?"

"तुम्हे अंधकार में

एक किरण दिखाने के लिया " उत्तर मिला मुझे ...


मुझे छोड़ दो अकेला

अब यही अंधकार रसमय है मुझे

न जाने उस पर क्या होगा

होगा अँधियारा घना ।


"ये रसमय नहीं नीरस है

इस अंधकार से बाहर निकलो

नया सवेरा

नया उजाला है

तुम्हारे लिए नए रास्ते हैं

मंजिलें हैं

हमसफ़र हैं "


" मेरे साथ 'हिम्मत' और 'साहस' हैं

तुम्हे उस पर के उजाले में ले के जायेंगे

चलना है ??"


मुझमें अंतर्द्वंद आरम्भ हुआ ,

'चलो आशा ,हिम्मत ,साहस के साथ

नए उजाले मिलेंगे'


नहीं ,नहीं मैं न जाऊंगा

उस पर होगा अँधियारा घना , न जाने क्या होगा ...


"आशा ,हिम्मत और साहस हैं न

निसंदेह उजाला ही मिलेगा "


एक मन ने कहा

'न मिला तो ?'


'न मिला तो नया विश्वास मिलेगा

नए उजाले की ओर चलने का '


मैं उठा

और अंतत चलने लगा

अंधकार के किवाड़ खोले

'आशा' ने साथ दिया

उस पर जाने में

हिम्मत और साहस भी साथ ही थे

निसंदेह उस पर उजाला ही होगा

विश्वास होने लगा था मुझे ॥

हड़ताल....(कहानी).....मनीष कुमार जोशी


‘क्या मैं अंदर आ सकता हॅू।’ तेजस ने नीले रंग की ड्रेस पहने हुए दरवाजा खोलकर कहा। 

यस । कम इन । ’ मैंनेजर ने कम्प्यूटर पर काम करते हुए तेजस की ओर देख बिना कहा। 

  तेजस मैनेजर का उत्तर सुनकर अंदर आ गया। नीली ड्रेस पहने और माथे पर थोड़े बहुत बाल बिलकुल आज की उम्र के नौजवान की तरह ही था तेजस । मैनेजर की टेबिल की नजदीक पहुंचते ही मैनेजर ने बैठने के लिए कह दिया। बिलकुल शांति का वातावरण था। फैक्ट्री में मशीनो की घड़ घड़ की आवाज यहां बिलकुल नहीं पहुंच रही थी जबकि यह कमरा फैक्ट्री के बिलकुल नजदीक था। कमरे में सभी अत्याधुनिक सुविधाऐं थी और इससे आभास हो रहा था कि कंपनी मैनेजर को उनके काम के अनुरूप पूरी सुख सुविधाऐ देती है। तेजस कुर्सी पर बैठकर मैनेजर के कुछ कहने का इंतजार कर रहा था। आखिर मैनेजर ने ही उसे बुलाया था हांलाकि तेजस को पता था कि मैनेजर ने क्यों बुलाया है ? उसे अच्छी तरह से पता था कि उसे सुपरवाईजर की हैसियत से नहीं बुलाया गया है। मैनेजर ने कुछ ही देर में अपनी कुर्सी कम्प्यूटर की ओर से तेजस की ओर धुमाई और अपने दोनो हाथ टेबिल पर आराम की मुद्रा रखते हुए तेजस की ओर आंखे करते हुए बोला- ‘ इस हड़ताल के नोटिस पर तुम्हारे साईन है।’

हाॅ! तो ? 

‘मुझे कोई आपत्ति नहीं है कि हड़ताल के नोटिस पर किसने साईन किये है। इसकी भी ज्यादा परवाह नहीं है कि हड़ताल से किसका नुकसान होगा। परन्तु मुझे तुम्हारी चिंता है।’ मैनेजर तेजस की ओर अंगुली करते हुए कहा। परन्तु तेजस ने वापिस अपने हाथ की हथेली खोलकर मैनेजर की ओर हिलाते हुए कहा - ‘ आप मेरी चिंता मत कीजिए। आप तो हमारी बात मालिको तक पहुंचाईये और कहिए कि ये मांगे नहीं मांगी गई तो पूरी कंपनी के मजदूर अगली 8 तारीख को हड़ताल पर चले जायेंगे। ’ 

तेजस की तेज और ऊंची आवाज के बावजूद मैनेजर ने कोई उग्रता नहीं दिखाई और पूछा -‘ तुम्हारी उम्र क्या है।’ 

‘ 24 साल’

‘ तुम जानते हो । यह कंपनी 48 साल से भी ज्यादा पूरानी है और आज तक इस कंपनी में कोई हड़ताल सफल नहीं हो पाई है।’

‘ मैनेजर साब! पहले क्या हुआ ? इससे मुझे कोई सरोकार नहीं है। मैं आगे की ओर देखता हूॅ। 

‘ मैं भी तुम्हे यही कहता हूॅ कि तुम आगे की ओर देखो। तुम्हे नौकरी लगे हुए 1 साल भी नहीं हुआ। इस कंपनी ने यदि रेड मार्क करके निकाल दिया तो तुम्हे कहीं नौकरी नहीं लगेगी। तुम्हारा भविष्य चैपट हो जायेगा। थोड़ा समझदारी से काम लो।’ 

  मैनेजर की बात सुनकर तेजस कुर्सी से उठकर खिड़की की ओर गया। अपने हाथ से कांच की खिड़की खोल दिया। खिड़की को खोलते ही मशीनो की घड़ घड़ की आवाज अंदर आने लगी। तेजस ने खिड़की से बाहर देखते हुए ही कहा - ‘ साहब! कांच के साउण्ड प्रुफ कमरो मंे बैठने वालो को ये आवाज डिस्टर्ब करती है परन्तु मेरे लिए यह आवाज जीवन का संगीत है। जब तक यह आवाज सुनाई देती है सैकड़ो मजदूरो का जीवन चलता है। उनके बच्चो को खाना मिलता है। मुझे नहीं लगता कि इन सैकड़ो परिवारो के भविष्य से ज्यादा जरूरी मेंरा भविष्य है। ’ 

‘ तेजस तुम समझना ही नहीं चाहते हो तो मैं क्या कर सकता हॅॅॅू। तुम्हे आगाह करना मेरा फर्ज था। आगे तुम ख्ुाद समझदार हो। यदि अच्छी सोच रखोगे तो आज सुपरवाईजर हो कल मैनेजर और फिर कंपनी में हिस्सेदार भी बन सकते हो। फैसला तुम्हे करना है ? मैनेजर ने अपने दोनो हाथ घुमाते हुए कहा।  

  मैनेजर की बात सुनकर तेजस ने घूमकर मैनेजर की ओर देखा, फिर कमरे से बाहर आ गया। बाहर आते ही मजदूरो ने उसे घेर लिया। किसी से कुछ कहे बिना तेजस आगे की ओर निकल गया। सभी मजदूर पीछे पीछे थे। तेजस सीधे फैक्ट्री में बने अपनी केबिन में जाकर बैठ गया। दीनूकाका भी उसके पीछे पीछे आ गये और उसके सामने आकर बैठ गये। तेजस टेबिल पर अपने हाथ की कुहनी टिकाकर हथेली को अपने चेहरे पर रखकर बैठा था। दीनू काका ने अपनी सफेदी होती दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा -‘ तेजस एक बार सोच लो।’

‘ सोच लिया काका। 8 तारीख को हड़ताल पर जायेंगे। एक एक मजदूर अपने साथ है।’

‘ वो तो ठीक है। मुझे तुम्हारी चिंता है। तुम्हारी नई नौकरी है। ऐसा करो हड़ताल के नोटिस में मेंरा नाम दे दो और मैं इस कंपनी का पूराना मजदूर हूूॅ। कंपनी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। ’

‘ बिलकुल नहीं काका। आप मुझे काम करने दीजिए। इस कंपनी में मजदूरो ने हमेंशा जंग हारी है परन्तु इस बार मजूदरो की जीत होगी। ’

‘ तेजस । तुम इन लफड़ो में मत पड़ो । तुम तो अपना कैरियर बनाओ। यह सब हमारे ऊपर छोड़ दो।  

इस बार तेजस अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया। दीनूकाका के पीछे जाकर उनके कंधो पर हाथ रखकर बोला- ‘ दीनूकाका । अब सब चिंताऐ छोड़ दीजिए । मैं नौजवान हूॅ। कैसे भी कमा लूंगा । लेकिन आप जैसे उम्रदराज लोग कहां जायेंगे। इसलिए मुझे काम करने दीजिए और इस लड़ाई में सफलता के लिए मुझे आर्शीवाद दीजिए। ’ तेजस के ईरादो को देखकर दीनूकाका ने भी आगे कुछ कहना मुनासिब नहीं समझा।  

  पूरी फैक्ट्री में हलचल थी। दिनभर काम के बाद सभी मजदूरो का एक ही सवाल था 8 तारीख को क्या होगा ? सभी को तेजस जैसे नौजवान पर भरोसा था। सभी को लग रहा था उसमें कोई बात है। उसकी आवाज पर सभी शाम को कंपनी के मैदान में इकट्ठे हो जाते । उधर कंपनी के अधिकारियों के माथे पर चिंता की लकीरे साफ पढ़ी जा सकती थी।  

  कंपनी के मैदान मे आज सभी मजदूर इकटठा थे। कल से हड़ताल होनी थी। तेजस को सुनने के लिए छट्टी के बाद सभी मजदूर जमा हुए थे। तेजस उन्हे एक नायक की तरह लग रहा था। तेजस ज्यों ही मंच ओर पहुंचा। मैनेजर का चपरासी जयदीप दौड़ता हुआ आया और कहा- ‘ तेजस भैया। आपको बडे़ साब बुला रहे है।’

तेजस ने कहा - ‘ तुम चलो । मै आता हूॅ। ’ यह कहने के बाद तेजस ने सभी मजदूरो से मालिक से मिलने के लिए जाने की अनुमति मांगी और मजदूरो की हामी के बाद वह मालिक से मिलने के लिए गया। 

  कंपनी के स्वागत कक्ष के आगे ही कंपनी के मालिक की गाड़ी खड़ी थी। मालिक शांतिलाल जी स्वागत कक्ष में ही बैठे थे। तेजस ने पहंुचते ही मालिक को प्रणाम किया।  

‘ आओ तेजस। बैठो। आखिर तुमने हमें यहां बुला ही लिया । ’ शांतिलाल जी ने बैठने का ईशारा किया। शांतिलालजी के कहने पर तेजस उनके सामने की कुर्सी पर बैठ गया।  

  शांति लाल जी ने टेबिल पर रखी फाईल को खोला और फाईल के पन्ने की ओर नजर रखते हुए कहा -‘ अच्छा। तेजस तुम तो खूब पढ़े लिखे हो। सुपरवाईजर की नौकरी के लायक नहीं हो । तुम तो मैनेजर जैसे पद के लायक हो। मुझे बहुत बुरा लगा। इतना होनहार नौजवान मजदूरो के चक्कर में पड़ा तो। ’ 

शांतिलाल जी की बाते सुनकर तेजस थोड़ा परेशान होता नजर आया । उसे रहा नही गया और बोल पड़ा- ‘ सर। मैं वर्तमान में विश्वास करता हूूॅ। वर्तमान में मैं सुपरवाईजर हूूॅ और मजदूरो के साथ अन्याय मैं देख नहीं सकता। ’ 

‘ मजदूरो का न्याय और अन्याय देखने के लिए हम है। तुम तो अपने कैरियर को देखो। मजदूर और हड़ताल यह सब बात नौजवानो के लिए ठीक नहीं । तुम तो अपना कैरियर बनाओ और मैं तुम्हारी योग्यता की कद्र करता हॅॅू। 

‘ सर। धन्यवाद। आप मेरी योग्यता की कद्र करते है। परन्तु इस समय मैं अपने फर्ज से पीछे नहीं हट सकता। इस समय आप यह बताईये आप मजदूरो की मांगो पर कोई फैसला करते है या नहीं ? नहीं तो तो कल से सब मजदूर हड़ताल पर जा रहे है।’ 

तेजस की तल्ख आवाज को भांपते हुए शांतिलाल जी ने भी अपनी भाषा को थोड़़ा तल्ख करते हुए कहा - ‘ नौजवान। इस समय तुम्हे हमारी बाते समझ नहीं आयेगी। तुम पर नेतागिरी को भूत सवार है। लेकिन यह समझ लो मैं तुम्हारी योग्यता की कद्र करता हूॅ। तो तुम्हारा भविष्य बिगाड़ भी सकता हॅॅू। तुम कल तक समझ जाओ तो ठीक नही ंतो मैं खुद अपने हाथ से तुम्हारे कागजो में रेडमार्क लगा दूंगा और तुम दुनिया में कहीं भी नौकरी नहीं कर पाओगे। जहां तक मजदूरो की बात उनको तो मै देख लूंगा। कल शाम तक का समय तुम्हारे पास है। कल मैं फिर आऊंगा। अब तुम जा सकते हो।’ शांतिलालजी ने यह कहते हुए झटके के साथ फाईल बंद कर खड़े हो गये। तेजस भी खड़ा होकर मजदूरो की सभा की ओर चल दिया।  

  आज 8 तारीख थी। फैक्ट्री में हमेंशा की तरह काम हो रहा था। सभी मजदूर अपनी मशीनो पर काम कर रहे थे। तेजस भी मजदूरो के काम की पूरी देखरेख कर रहा था। यह जरूर था आज मजदूरो ने दोपहर की छुट्टी नहीं की। दिनभर फैक्ट्री में काम चलता रहा । रात होने के बाद भी फैक्ट्री में काम चल रहा था। रात के 8 बजे शांतिलाल जी की गाड़ी कंपनी के स्वागत कक्ष के सामने आकर रूकी। शांतिलाल जी के साथ उनका मैनेजर भी उनके साथ था। शांतिलाल जी ने मैनेजर से कहा ‘ तेजस की फाईल लाओ और मै जैसे बता रहा हूॅ। वैसे उसे नौकरी से हटाने का आदेश बनाओ। ’ यह कहते हुए शांतिलालजी वहां उनके लिए अलग से बने कक्ष की ओर जाने लगे। लेकिन मशीनो की घड़ घड़ की आवाज सुनकर उनके कदम रूक गये। उन्हाने मैनेजर को वापिस आवाज लगाई और कहा - ‘ जाओ देखकर आओ फैक्ट्री से इतनी रात को यह कैसी आवाज आ रही है। ’ मालिक आदेश पाते ही मैनेजर दौड़कर फैक्ट्री की ओर गया। इसी बीच शांतिलाल जी अपने कक्ष मे जाकर बैठ गये।  
 

  शांतिलालजी कुर्सी पर बैठकर वहां पड़ा अखबार टटोल ही रहे थे कि मैनेजर फैक्ट्री से लौटकर आ गया। शांतिलाल जी ने नजरे अखबार में गढ़ाये हुए ही कहा - ‘ क्या खबर लाये। इतनी रात को फैक्ट्री में कैसी आवाज है। कहीं मजदूर तोड़फोड़ तो नहीं कर रहे है। ’ 

‘ नहीं बाॅस। मजदूरो ने कहा है कि वे हड़ताल पर है और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी। हम लगातार काम करते रहेगे। उन्होने काफी माल भी तैयार कर दिया है। वे सुबह से लगातार काम कर रहे है सर। ’ 

मैनेजर की बात सुनकर शांतिलाल जी ने आश्चर्य से पूछा- ‘ये कैसी हड़ताल है।’

‘ सर! मजूदरो को कहना है कि तेजस भैया ने ही बताया है । यह नये जमाने की हड़ताल है। जब तक मांगे पूरी नहीं होगी हम काम करते रहेगे। ’ 

  यह सुनकर शांतिलाल जी खिड़की की ओर गये। खिड़की खोलते ही मशीनो की घड़ घड़ की आवाज आ रही थी। खिड़की तरफ मुंह किये हुए मैनेजर से कहा - ‘ जाओ और सभी मजदूरो से कह दो कि काम बंद कर दो। उनकी सभी मांगे मान ली गई है। ’ 

  मशीनो की घड़ घड़ की आवाज अब शांतिलाल जी के कानो में मिश्री घोल रही थी।