तोड़ लेती है
टहनियों से फूल
स्वार्थी दुनिया
व्यवस्था बुरी
जब हम पिसते
अन्यथा नहीं
चाँदी काटना
सत्ता का मकसद
मेरे देश में
नेता सेवक
चुनावों के दौरान
फिर मालिक
इच्छा सबकी
बदल दें समाज
अपने सिवा
आज भी वही
लाठी वाले की भैंस
कैसी आज़ादी ?
भाषा जोडती
लोगों को आपस में
न कि तोडती
माला के मोती
हैं राज्य भारत के
हिंदी का धागा
महत्वपूर्ण
धर्म, क्षेत्र व् जाति ;
देश क्यों नहीं
जीत न सकें
ये अलगाववादी
एक रहना
" भारत मेरा "
ये कहने का हक
छिनने न दो
पूरा भारत
सभी भारतियों का
न बाँटो इसे
टहनियों से फूल
स्वार्थी दुनिया
व्यवस्था बुरी
जब हम पिसते
अन्यथा नहीं
चाँदी काटना
सत्ता का मकसद
मेरे देश में
नेता सेवक
चुनावों के दौरान
फिर मालिक
इच्छा सबकी
बदल दें समाज
अपने सिवा
आज भी वही
लाठी वाले की भैंस
कैसी आज़ादी ?
भाषा जोडती
लोगों को आपस में
न कि तोडती
माला के मोती
हैं राज्य भारत के
हिंदी का धागा
महत्वपूर्ण
धर्म, क्षेत्र व् जाति ;
देश क्यों नहीं
जीत न सकें
ये अलगाववादी
एक रहना
" भारत मेरा "
ये कहने का हक
छिनने न दो
पूरा भारत
सभी भारतियों का
न बाँटो इसे