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सोमवार, 23 नवंबर 2009

कमली .......................(कहानी )....................नीशू तिवारी

बचपन से ही तंग गलियों में बीता बचपन हमेशा ही एक हसीन सपना बुनता था उसका । मां , बाबा और कमली यही दुनिया थी उसकी । किसी तरह से कमली को उसके बाबा ने पेट तन काट कर पढ़ाने की कोशिश की । आज कमली इण्टर ( १२ वीं ) में दाखिल हुई थी । कमली तो खुश थी ही साथ ही साथ उसके बाबा की खुशी का ठिकाना न रहा था ।

कमली पढ़ाई में अव्वल रही थी हमेशा से ........इस कारण मां और बाबा ने हमेशा कमली को पढ़ाने के लिए कोई कोर कसर न छोड़ी थी । पैसे की कमी होते हुए भी किसी तरह से गुजारा चलता , स्कूल में कमली को टीचर जी ने मुफ्त ही ट्यूशन देने की बात कही थी । कमली भी पूरे मन से पढ़ाई करती और सभी की उम्मीदों पर खरा उतरने की हमेशा कोशिश करती । जैसे तैसे समय बीतता रहा । कमली का व्यक्तित्व , रूप सांवलापन लिये हुए जरूर था पर उसका आकर्षण बहुत ही प्रभावशाली था.. जिससे सभी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते । एक शाम कमली ट्यूशन के लिए टीचर जी के पास गयी थी पर आज जो हुआ वो गुरू शिष्य की परंपरा को सरेआम नंगा कर दिया । जो कुछ था उसके पास वह सब कुछ एक पल में लुट गया था । शर्म के मारे दुपट्टे से मुंह छिपाये सिसकती हुई अपने घर किसी तरह से जा सकी । कमली को डराया और धमकाया गया कि अगर वह किसी से कुछ भी कहती है तो जान से भी हाथ धोना पड़ेगा....... साथ ही साथ क्लास में फेल कर दिया जायेगा ।

ऐसी परिस्थिति में क्या कुछ करें कमली??? वह उसके समझ से परे था । किससे कहे अपनी आप बीती , अपना दर्द । बारवहीं पास करते करते कमली ने अपना मुंह न खोला । कमली अपनी क्लास में पहला स्थान प्राप्त करते हुए परीक्षा पास की । ऐसे में सभी खुश थे पर कमली उदास थी । कमली ने अपने सब्र का बांध तोड़ते हुए अपनी मां को सारी घटना के बारे में बताया । मामला पुलिस के पास पहुंचा । टीचर को कानूनन उम्रकैद की सजा हुई । सरकार ने कमली को नये जीवन को शुरू करने के लिए सरकारी नौकरी का आश्वासन भी दिया । लेकिन ऐसे में एक नयी शुरूआत करने की कोशिश की । जब सफलता हाथ न लगी तो कमली ने दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार को जिंदा रख रही है । । सरकार का कहा हुआ कब पालित होगा पता नहीं ?


आज की जरूरत--------- {निर्मला कपिला }

नारी आज जरूरत आन पडी
नि्रीक्षण् की परीक्षण की
उन सृजनात्मक संम्पदाओं के
अवलोकन की
जिन पर थी
समाज की नींव पडी
प्रभू ने दिया नारी को
करुणा वत्सल्य का वरदान
उसके कन्धों पर
रख दिया
सृष्टी सृजन
शिशु-वृँद क चरित्र और्
भविश्य का निर्माण
बेशक तुम्हारी आज़ादी पर
तुम्हारा है हक
मगर फर्ज़ को भी भूलो मत
अगर बच्ची देश का भविश्य
हो जायेगा दिशाहीन
अपनी सभ्यता संस्कृति से विहीन
तो तेरे गौरव मे क्या रह जायेगा?
क्यों कि बदलते परिवेश मे
आज़ादी के आवेश मे
पत्नि, माँ के पास समय
कहाँ रह जायेगा
उठ,कर आत्म मंथन
कि समाज को दिशा देने की
जिम्मेदारी कौन निभायेगा
ए त्याग की मूरती
तेरा त्यागमयी रूप
कब काम आयेगा
पाश्चात्य सभ्यता से बाहर आ
अपनी गौरवनयी संस्कृति को बचा।।।