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बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

मुहब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल में मैंने है जाना......[गजल]........................नलिन मेहरा








वो झुकी झुकी सी आँखें उसकी और लबों पे मुस्कान का खिल आना,
बस मेरी एक छुअन से उसका ख़ुद में सिमट जाना,
फिर हौले से खोलना झील सी आँखें और मेरा उनमें डूब जाना,
शरारत भरी निगाहों से फिर मेरे दिल में उसका उतर जाना,
रखना फिर मेरे कांधे पे सर अपना और उसका वो ग़ज़ल गुनगुनाना,
मुहब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल में मैंने है जाना.......

वो पायल की झंकार और उसकी चूड़ियों का खनखनाना,
चाल में मस्ती और उसका आँचल को लहराना,
सुनकर मेरी बातों को उसका हौले से मुस्कुराना,
मेरी हंसी मैं ढूँढना खुशी और मेरी उदासी मैं उदास हो जाना,
जो लगे चोट मुझे तो रो-रो के उसका बेहाल हो जाना,
मुहब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल में मैंने है जाना.......

वो करना शाम ढले तक बातें और थाम के हाथ मेरा सपने सजाना,
बहुत मासूमियत से उसका मुझे ज़िन्दगी का फलसफा समझाना,
जब हो लम्हा उदासी भरा तो उसका मुझे गले लगाना,
छाये जब अँधेरा गम का तो खुशी की किरन बन जाना,
मुहब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल में मैंने है जाना,
मुहब्बत है क्या बस ऐसे ही एक पल में मैंने है जाना.......

इंसान दुनिया में आता है और चला जाता है---------------[कुलदीप कुमार मिश्र ]

इंसान दुनिया में आता है और चला जाता है,


लेकिन वह जाने के लिया आता है और आने के लिया जाता है,


वह रोता हुआ आता है और रोता हुआ जाता है,


पर क्या कभी सोचा है आपने सबसे ज्यादा वह किसे सताता है,


देती है जो जन्म उसे और इस दुनिया में लाती है,


ख़ुद तो जगती है रातों को, लोरी गा उसे सुलाती है,


वह तो भूखी रहती है लेकिन बच्चे को दूध पिलाती है,


खिला-पिला कर बड़ा करे और उसको खूब पढाती है,


और यह सब करने में वह ख़ुद को भूल जाती है,


आंखों में सपने होते हैं, दिल में होते हैं अरमान,


इसीलिए वह अपनी सारी खुशिया कर देती है दान,


दान में खुशिया दे देती है ले लेती है सारे गम,


होती है ममता उसकी नहीं किसी से कम,


इस सबके बदले में बेटा देता है क्या माँ को,


यही समझना है हम सबको, यही सोचना है हम सबको।