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शनिवार, 12 जनवरी 2013

मां

 ममता और सौहार्द से बनी हुयी है मां !
कोई कहे कुमाता कोई माता लेकिन है मां !!
जिसके स्पर्श भर से बेता प्रसन्न हो उठता है !
जिसके उठने से ही सुरज भी उठता है !!
मां को देखकर बच्चा पुलकीत हो उठता है !
बच्चो को पाकर मां का रोम-रोम खिल उठता है !!
यौवन मे भी मां को बेटा लगता प्यारा !
बेटा समझ न पाता मन का है कच्चा !!
सारी दुनिया समझे उसे घोर कपुत !
मां को लगता बेटा सच्चा,वीर,सपुत !!
मां शब्द मे है ममता का एह्सास !
बरसो है पुराना मां का इतिहास !!