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रविवार, 28 जून 2009

व्यंग्य कविता /कुत्ता

कुत्ता
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तथा कथित नेता जी के भाषण ने
एक कुत्ते के आराम में
खलल पहूँचाया
कुत्ते को नहीं भाया
मंच पर जा पहुँचा
और न केवल नेता जी को काटा
उनके कपड़े भी फाड आया .
इसपर पूरा कुत्ता समाज
उसपर गुर्राया-
मूर्ख तूने यह क्याकर डाला .?
तुझे मालूम है
वह नेता है
उसका कुछ नहीं बिगडेगा
लेकिन तुझे
चौदह इंजेक्शन लगवाने पडेगें
नहीं तो तू
किसी विदेशी अस्पताल में
नेता की मौत मरेगा
हिन्दुस्तानी सरकारी अस्पतालों में
इंसानों की तरह
बेरहमी से मरने को भी तरसेगा .
तुझे मालूम है
नेता ऐसा जीव है
जो बडी- बडी योजना तक
हजम कर जाता है
इसका काटा
आई.ए.एस. अफसर भी
नहीं बच पाता है
और तूने उसे ही काट लिया
इससे
उसके बाप का क्या जाऐगा
मरेगा तो तू.....
और वो जनता के चन्दे से
तेरे नाम का स्मारक बनवाकर
तुझे ही श्रद्धांजलि दे जाऐगा
जिससे तू ही क्या
हमारा पूरा खानदान
बदनाम हो जाऐगा.....!
डॉ.योगेन्द्र मणि