किस बात की दे रहा सज़ा मुझे
है क्या गुनाह मेरा , बता मुझे .
हिम्मत नहीं अब और सहने की
रुक भी जा , ऐ दर्द न सता मुझे .
या खुदा ! अदना-सा इंसान हूँ
टूट जाऊँगा , न आजमा मुझे .
क्यों चुप रहा उसकी तौहीन देखकर
ये पूछती है , मेरी वफा मुझे .
आखिर ये बेनूरी तो छटे
किन्ही बहानों से बहला मुझे .
एक अनजाना सा खौफ हावी है
अब क्या कहूँ 'विर्क' हुआ क्या मुझे
है क्या गुनाह मेरा , बता मुझे .
हिम्मत नहीं अब और सहने की
रुक भी जा , ऐ दर्द न सता मुझे .
या खुदा ! अदना-सा इंसान हूँ
टूट जाऊँगा , न आजमा मुझे .
क्यों चुप रहा उसकी तौहीन देखकर
ये पूछती है , मेरी वफा मुझे .
आखिर ये बेनूरी तो छटे
किन्ही बहानों से बहला मुझे .
एक अनजाना सा खौफ हावी है
अब क्या कहूँ 'विर्क' हुआ क्या मुझे