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सोमवार, 7 जून 2010

बंद करता हूं जब आंखे............(कविता)...............neeshoo tiwari

बंद करता हूं जब आंखे

सपने आखों में तैर जाते हैं ,

जब याद करता हूँ तुमको 

यादें आंसू बनके निकल जाती हैं ,


ये खेल होता रहता है ,

यूं हर पल , हर दिन ही ,

तुम में ही खोकर मैं ,

पा लेता हूँ खुद को , 

जी लेता हूँ खुद को ,



बंद करता हूँ आंखें तो 

दिखायी देती है तुम्हारी तस्वीर , 

सुनाई देती है तुम्हारी हंसी कानों में,

ऐसे ही तो मिलना होता है तुमसे अब।।



बंद कर आंखें देर तक,

महसूस करता हूँ तुमको ,

और न जाने कब 

चला जाता हूँ नींद के आगोश में ,

तुम्हारे साथ ही ।।

राह {कविता} सन्तोष कुमार "प्यासा"


जब हम मिले
वो दिन एक था
जहाँ हम मिले
वो जगह एक थी
दोनों की बाते
दोनों के विचार एक थे
जहाँ हमें जाना था
वो मंजिल एक थी
मै तो अब भी वहीँ कायम हूँ
पर अब पता नहीं क्यू
तुमने बदल ली अपनी राह..........................