मुझे बढ़ना ही होगा :
डगमग डगमग राहों पे ,
मैं चला ही जा रहा हूँ ...
कुछ ऊँची कुछ नीची राहों पे
मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ ...
मैं चला था कल अकेला ,
कोई आया कोई चला गया ,
अंतर्द्वंद से कोई भरा रहा ,पर
मैं बढ़ता ही चला गया ...
पीछे मुड के देखा जब ,अब
कोई साथी ना दिख पाया
देखा साथ में कौन है ....
बस अपने को ही मैंने पाया ,
आगे बढ़ने की सोची तो
मंजिल एक नई चुनी
सोचा चलना चाहिए अब
सोचा बढ़ना चाहिए अब
हाँ ,
डगमग डगमग राहों पे ,
मुझे बढ़ना ही होगा ...
कुछ ऊँची कुछ नीची राहों पे
मुझे बढ़ना ही होगा ...
डगमग डगमग राहों पे ,
मैं चला ही जा रहा हूँ ...
कुछ ऊँची कुछ नीची राहों पे
मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ ...
मैं चला था कल अकेला ,
कोई आया कोई चला गया ,
अंतर्द्वंद से कोई भरा रहा ,पर
मैं बढ़ता ही चला गया ...
पीछे मुड के देखा जब ,अब
कोई साथी ना दिख पाया
देखा साथ में कौन है ....
बस अपने को ही मैंने पाया ,
आगे बढ़ने की सोची तो
मंजिल एक नई चुनी
सोचा चलना चाहिए अब
सोचा बढ़ना चाहिए अब
हाँ ,
डगमग डगमग राहों पे ,
मुझे बढ़ना ही होगा ...
कुछ ऊँची कुछ नीची राहों पे
मुझे बढ़ना ही होगा ...