हमारे नाम के चर्चे जहाँ पर भी हुए होंगे
वहाँ पर खूब आंधी और तूफान भी हुए होंगे
तुम्हे कैसे कहूँ मैं मोम भी पाषाण होता है
इन्ही बातों से लोगों के जहन भी हिल गये होंगे
खबर है क्या तुम्हे वोप भूख को उपवास कहता है
खबर होती तो सिंघासन तुम्हारे हिल गये होंगे
महज अख़बार की कालिख बने हैं और वे क्या हैं
फखत शब्दों से कैसे पेट जनता के भरे होंगे
तुम्हारे चंद जुमले तैरते फिरते हवा में हैं
उन्हें कुछ पालतू मन्त्रों की भांति रट रहे होंगे
तुम्ही ने नाम करने को ही उस में बद मिलाया है
उसी खातिर ये ऐसे कारनामे खुद किये होंगे
उन्हें मैंने कहा कि आप भी मुख से जरा बोलेन
उसी से छल कपट के भेद सरे खुल रहे होंगे
यदि इन कारनामों को ही तुम सेवा बताते हो
तो निश्चित अर्थ सेवा के तुम्ही से गिर गये होंगे