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सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

ऎ मेरे मन ---------------

ए मेरे मन
ए मेरे मन
ए मेरे मन......।


कैसे समझाऊं तुझे, कैसे बतलाऊं तुझे?
कौन है तेरा यहां, कौन है तेरा यहां ?
ए मेरे मन..ए मेरे मन..ए मेरे मन.........।


कौन है जो तेरी यादों में समाया आकर,
किसके तू गीत गुनुगुनाता है।
किसके वादों में लिपट कर खुद को खोया,
किसकी बातों में बहक करके गीत गाता है।
ए मेरे मन...एमेरे मन...ए मेरे मन............।


कौन सी शोख अदाओं मेंअटक कर भूला,
कौन ज़ुल्फ़ों की घनी छांव में बुलाता है?
किसकी बाहों में लिपटने के सज़ाये सपने,
किससे मिलने की धुन सज़ाता है?


ए मेरे मन...ए मेरे मन...ए मेरे मन...........।


कौन किसका है इस ज़माने में,
प्यार सिसका है ,हर ज़माने में।


प्रीति की रीति पे तू एतवार न कर,
मस्त रह ’श्याम’ सुर सज़ाने में।



ए मेरे मन...
ए मेरे मन...
ए मेरे मन.........॥