प्रेम कलह के द्वंद में समय कटे दिन रात।।
चूल्हा-चौका संग में और हजारो काम।
इस कारण डरते पति शायद उम्र तमाम।।
झाड़ु, कलछू, बेलना, आलू और कटार।
सहयोगी नित काज में और कभी हथियार।।
जो ज्ञानी व्यवहार में करते बाहर प्रीत।
घर में अभिनय प्रीत के रीति बहुत विपरीत।।
बाहर से आकर पति देख थके घर-काज।
क्या करते, कैसे कहे सुमन आँख में लाज।।