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बुधवार, 13 जनवरी 2010

समन्वय-----( डाo श्याम गुप्त )

आशा का उत्साह का गति का,

रहे समन्वय , तो जीवन है |

तजें निराशा, तेज़ न दौड़ें ,

निरुत्साह का दामन छोड़ें ;

जो न कर सका यथा समन्वय,

कहाँ सफलता उस जीवन में ||