तेरी आंखें शिकारियों सी सधी
मेरे मन के पटल पे तैर गयीं
नींद चिंहुकी तो, पाया जैसे इन्हें
मुद्दतों से तलाश मेरी थी
कितने जन्मों की प्यास थी कि जिसे
सातवें आसमान की थी खबर
रूह के साथ जिसकी जद्दोजहद
रूह के आरपार तैरी थी
और फिर सिर्फ जिसके ही खातिर
बूंद बन कर मेरा उतरना हुआ
उस जलनखोर की निशांदेही
मेरी सूरत में आ के ठहरी थी
* * *
विषबुझे तीर सी तुम्हारी हंसी
दर्द से अकड़ा हुआ मेरा बदन
हर तरफ जकड़ी हुई जंजीरें
जिन्दगी बांह तक उधेड़ी थी
मेरी दो-चश्मी रूह के पीछे
जिन अंधेरों में तुम चमकती रहीं
मैं उन्हें चीर करके लौटा हूं
जिस जगह पर मज़ार मेरी थी
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नींद चिंहुकी तो, पाया जैसे इन्हें
मुद्दतों से तलाश मेरी थी
कितने जन्मों की प्यास थी कि जिसे
सातवें आसमान की थी खबर
रूह के साथ जिसकी जद्दोजहद
रूह के आरपार तैरी थी
और फिर सिर्फ जिसके ही खातिर
बूंद बन कर मेरा उतरना हुआ
उस जलनखोर की निशांदेही
मेरी सूरत में आ के ठहरी थी
* * *
विषबुझे तीर सी तुम्हारी हंसी
दर्द से अकड़ा हुआ मेरा बदन
हर तरफ जकड़ी हुई जंजीरें
जिन्दगी बांह तक उधेड़ी थी
मेरी दो-चश्मी रूह के पीछे
जिन अंधेरों में तुम चमकती रहीं
मैं उन्हें चीर करके लौटा हूं
जिस जगह पर मज़ार मेरी थी
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