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रविवार, 29 मई 2011

जीवन इक विश्वास है.............श्यामल सुमन

जीवन इक विश्वास है

खुला हुआ आकाश है

वक्त आजतक उसने जीता
जिसने किया प्रयास है

कैसे कैसे लोग जगत में
अलग सभी की प्यास है

कुछ ही घर में रौनक यारों
चहुँ ओर संत्रास है

जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु आवास है

राजनीति और अपराधी का
क्या सुन्दर सहवास है

सहनशीलता अपनी ऐसी
नेताओं से आस है

लेकिन ये ना बदलेंगे अब
दशकों का अभ्यास है

यही समय है परिवर्तन का
सुमन हृदय आभास है

5 comments:

prerna argal ने कहा…

जहाँ पे देते शिक्षा दिन में
रात पशु आवास है

राजनीति और अपराधी का
क्या सुन्दर सहवास है
bahut hi saarthak rachanaa.badhaai aapko.


please visit my blog and feel free to comment thanks.

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

वाह! मन को छू जाने वाली रचना के लिए बधाई।
==========================
प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
जिसे आपने इंटरनेट पर उतारा
===========================
’व्यंग्य’ उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमा रहा होता है।
=====================
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

वाह! मन को छू जाने वाली रचना के लिए बधाई।
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प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
जिसे आपने इंटरनेट पर उतारा
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’व्यंग्य’ उस पर्दे को हटाता है जिसके पीछे भ्रष्टाचार आराम फरमा रहा होता है।
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सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

Patali-The-Village ने कहा…

मन को छू जाने वाली रचना के लिए बधाई।

श्यामल सुमन ने कहा…

आप सबके प्रति विनम्र आभार प्रेषित है.

सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com