पत्रकारिता जो की लोकतंत्र का स्तम्भ है, जिसकी समाज के प्रति एक अहम भूमिका होती है, ये समाज में हो
रही बुराईयों को जनता के सामने लाता है तथा उन बुराईयों को खत्म करने के लिए लोगो को प्रेरित करता है। पत्रकारिता समाज और सरकार के प्रति एक ऐसी मुख्य कड़ी है, जो कि समाज के लोगो और सरकार को आपस में जोड़े रहती है। वह जनता के विचारों और भावनाओं को सरकार के सामने रखकर उन्हे प्रतिबिंबित करता है तथा लोगो में एक नई राष्टीय चेतना जगाता है।
पत्रकारिता के विकाश के सम्बन्ध में यदि कोई जानकारी प्राप्त करनी है तो हमें स्वतन्त्रता प्राप्ति के पहले की पत्रकारिता को समझना होगा । पत्रकारिता के विकाश के सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि 19 वीं शताब्दी के पूर्वान्ह में भारतीय कला ,संस्कृति, साहित्य तथा उधोग धन्धों को ईस्ट इंडिया कम्पनी ने नष्टकर दिया था, जिसके कारण भारत में निर्धनता व दरिद्रता का साम्राज्य स्थापित हो गया।
इसे खत्म करने के लिए कुछ बुद्विजीवियो ने समाचार पत्र का प्रकाशन किया । वे समाचार पत्रो के माध्यम से देश के नवयुवको कें मन व मस्तिष्क में देश के प्रति एक नई क्रांति लाना चाहते थे, इस दिशा में सर्वप्रथम कानपुर के निवासी पंडित युगल किशोर शुक्ल ने प्रथम हिन्दी पत्र उदन्त मार्तण्ड नामक पत्र 30 मई , 1926 ई. में प्रकाशित किया था। ये हिन्दी समाचार पत्र के प्रथम संपादक थे यह पत्र भारतियो के हित में प्रकाशित किया गया था। ये हिन्दी समाचार पत्र के प्रथम संपादक के पूर्व कि जो पत्रकारिता थी वह मिशन थी , किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की पत्रकारिता व्यावसायिक हो चुकी है।
हमारे देश में हजारो ऐसी पत्र-पत्रिकायें छप रही है जिसमें पूंजीपति अपने हितो को ध्यान में रखकर प्रकाशित कर रहे है। आधुनिक युग में जिस तरह से पत्रकारिता का विकाश हो रहा है, उसने एक ओर जहां उधोग को बढावा दिया है, वही दूसरी ओर राजनीति क्षेत्र में भी विकसित हो रहा है। जिसके फलस्वरूप राजनीतिज्ञ और राजनीतिक दल बड़ी तेजी से बढ रहे है, इन दोनों शक्तियों ने स्वतंत्र सत्ता बनाने के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में पूंजी और व्यवसाय का महत्व बढ़ता गया । एक समय ऐसा था जब केवल समाचार पत्रों में समाचारों का महत्व दिया जाता था। किन्तु आज के इस तकनीकी और वैज्ञानिक युग में समाचार पत्रो में विज्ञापन देकर और भी रंगीन बनाया जा रहा है।
इन रंगीन समाचार पत्रो ने उधोग धंधो को काफी विकसित किया है। आज हमारें देश में साहित्यिक पत्रिकाओं की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनके पाठकों व प्रशंसकों की हमेशा कमी थी। यही वजह थी की ये पत्रिकायें या तो बन्द हो गई या फिर हमेशा धन का अभाव झेलती रही । यह इस बात का प्रमाण है कि आज इस आधुनिक युग में जिस तरह से समाचार पत्रो का स्वरूप बदला है, उसने पत्रकारिता के क्षेत्र को भी परिवर्तित कर दिया है। समाचार चैनलों ने टी. आर. पी को लेकर जिस तरह से लड़ायी कर रहे है, उसे देखते हुए आचार संहिता बनानी चाहिए और इसे मीडीया को स्वयं बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि आदर्श जनतंत्र में यह काम किसी सरकार के हाथों में नहीं दिया जा सकता है। उसे अपने हर खबरो को जनतंत्र के मूल्यों व समाजिक राष्टीय हितो की कसौटी पर कसना होगा , यही सेंसरशिप है, जिसकी पत्रकारिता को जरूरत है। पत्रकारिता वास्तव में जीवन में हो रही विभिन्न क्रियाकलापों व गतिविधियों की जानकारी देता है। वास्तव में पत्रकारिता वह है जो तथ्यों की तह तक जाकर उसका निर्भिकता से विश्लेशण करती है और अपने साथ सुसहमति रखने वाले व्यक्तियों और वर्गो को उनके विचार अभिव्यक्ति करने का अवसर देती है।
ज्ञात रहे कि पत्रकारिता के माध्यम से हम देश में क्रान्ति ला सकते है, देश में फैली कई बुराईयो को हमेशा के लिए खत्म कर सकते है। अत: पत्रकारिता का उपयोग हम जनहित और समाज के भलाई के लिए करें न कि किसी व्यक्ति विशेष के पक्ष में। पत्रकारिता की छवी साफ सुथरी रहे तभी समाज के कल्याण की उम्मीद कर सकते है।
4 comments:
आपने बिल्कुल सही कहा पत्रकारिता के माध्यम से हम क्रांति ला सकते हैं| निश्चित ही वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह सोचनीय विषय है| इसका उपयोग जनहित में होना चाहिए|
patrikarita jagat pe jo apne lekh diya voh kafi accha hai, samayik hai, aage bhi aap aise likthte rahe, apka
Rakesh Kumar Yadav
9454718786
bhut sahi kha aapne mai aap ke lekh se puri trah shmat hun aaj ka patrakarita vayvasayik ho gayi hai sarthak lekh .
aabhar
pariwartan samaj ya prakriti ka niyam hai !
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