कोहरे से कोहराम मचा
लगा सड़क पर जाम
धुंध का चादर ओढ़े
आयी आज की प्रभात ।।
भास्कर को ग्रहण लगा
फैला अंधेरे का जाल
धरती भिगी ओस से
हुआ शीत लहर का बरसात।।
मंद हवा व गिरता पारा
जाड़ा गजब मौसम का मार
सिकुड़े-सिकुड़े दिन बीता
ठिठुर-ठिठुर कर रात।।
स्वेटर साल से ठंडी न जाय
हर ओर जला अब आग
कापते-कापते मुसाफिर जन
चुश्की लेकर पिये चाय ।।
3 comments:
meena ji bahut sahi likha hai .sardi ne kapa kar rakh diya hai .badhai .
mere blog ''vikhyat''par hardik swagat hai .
निसंदेह ।
यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
ठंड का आनन्द अलग है।
एक टिप्पणी भेजें