हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

शनिवार, 17 जुलाई 2010

तस्वीर......................श्यामल सुमन

अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ

तेरी आँखों में गर कोई, मेरी तस्वीर बन जाये
मेरी कविता भी जीने की, नयी तदबीर बन जाये
बडी मुश्किल से पाता है कोई दुनियाँ में अपनापन
बना लो तुम अगर अपना, मेरी तकदीर बन जाये

भला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँ
कभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँ
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ

कई लोगों को देखा है, जो छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते

है प्रेमी का मिलन मुश्किल, भला कैसी रवायत है
मुझे बस याद रख लेना, यही क्या कम इनायत है
भ्रमर को कौन रोकेगा सुमन के पास जाने से
नजर से देख भर लूँ फिर, नहीं कोई शिकायत है

3 comments:

vandana gupta ने कहा…

आज तो गज़ब ढा दिया………………………बेहद उम्दा रचना।

मनोज कुमार ने कहा…

एक बेहतरीन तस्वीर श्यामल की कूची से, शब्दों का अद्भुत कमाल!

Mithilesh dubey ने कहा…

kya bat hai suman ji kalal kar diya aapne, bahut hee lajwab rachna