दुनिया के कोलाहल से दूर
चारों तरफ़ फैली है शांति ही शांति
अपने कहलाने वालों के अहसास से दूर है जो
फिर भी मिलता है सुकून उस ओर
दुनिया के लिए कहलाता है जो शमशान यहाँ
दुनिया के कोलाहल से दूर
चारों तरफ़ फैली है शांति ही शांति
अपने कहलाने वालों के अहसास से दूर है जो
फिर भी मिलता है सुकून उस ओर
दुनिया के लिए कहलाता है जो शमशान यहाँ
6 comments:
कम शब्दों में सब कुछ कह दिया आपने ...लेकिन शब्द कुछ कमजोर लगे ..
vandna ji bahut hi khubsurat rachna ...badhai
ले चल ऐ खुदा मुझे वहां
दुनिया के लिए कहलाता है जो शमशान यहाँ
bahut khub...
बहुत ही उम्दा रचना ।
bahut sundar...
बहुत उम्दा....
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