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गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

लव इज ब्लाइंड

 जब भी मै प्यार के बारे में कुछ बुरा सुनता हूँ तो मुझे मानशिक कष्ट होता है !

वर्तमान समय में प्यार के बारे में तरह तरह की कहावते हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध हैं जो प्यार को आरोपित कर रहे है ! एवं आज का युवा वर्ग भी प्यार की वाश्त्विकता को न समझने के कारण भ्रम में है ! अत: मैंने प्यार की वाश्त्विकता एवं महानता को सबके सन्मुख लाने हेतु एक पुस्तक लिखने का विचार किया है , इसी विचार की परिपूर्ति हेतु एक छोटा सा लेख आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ कृपया मेरा मार्गदर्शन करे, एवं मेरी त्रुटियों का अहसास मुझे बेझिझक कराएँ !
लोग बड़ी सरलता se प्यार को अँधा कहते है, यदि उनसे प्यार को अँधा कहने का कारन पूंछा जाए तो कहते है की प्यार जाति पाति ऊँच नीच इत्यादि को नहीं देखता अत: प्यार अँधा है ! अब मै इन महाज्ञानियों से पूंछना चाहता हूँ की जाति पाति ऊँच नीच जैसी तुच्छ संकीर्ण मानसिकता को तो बड़े बड़े दार्शनिको, महात्माओं, ऋषि, मुनियों ने भी कोई महत्व नहीं दिया तो क्या ये लोग भी अंधे और मुर्ख है ! प्यार पाक अहसास है जो सिर्फ अच्छे गुणों और विचारों को महत्व देता है , प्यार तो दिलो की सच्चाई को देखता है इसिलए मै कहता हूँ की - ऋषि मुनियों की भांति स्वच्छ सुन्दर और पवित्र होता है प्यार/ जाति पाति ऊँच नीच न देखे, देखे तो केवल सत्यता सद्गुण और उच्च विचार ! ath pyar ko andha kahna sarwatha anuchit hai ! pyar ek alaukik anubhuti evm shrati ka mool hai ! pyar mahan , pavitra tha hai aur rahega

3 comments:

Dr.Rakesh ने कहा…

प्रेम को अंधा इसलिए कहा गया है क्योंकि इसमें पड़ा व्यक्ति अपना और अपने परिवार का हित-अहित भूल जाता है । यह एक नशा है, दिवानगी है जिसमें प्रेमी के सिवा और कुछ नहीं दिखता..

कई बार या कहें अधिकांशत: इसके दूरगामी परिणाम भयावह होते हैं..अब यह बताएं कि कोई लड़की अब तक पाल-पोस कर बडे किए मां-बाप भाई को तकलीफ़ देकर अपने प्रेमी के साथ फरार हो जाती है तो यह अंधापन ही हुआ न ।

ZEAL ने कहा…

Love is a beautiful feeling !....Blind are they who misuse it .

संतोष कुमार "प्यासा" ने कहा…

Rakesh ji mai apke prashn ka niaraakarn jald hi karunga !
krpya mere agle lekh ka intjar karen ! Dhnayvad