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बुधवार, 28 अप्रैल 2010

झूठ

झूठ हमारा नहीं हमारे पूर्वजो का संस्कार है



जनता, नेता, अभिनेता सबको यह स्वीकार है !


झूठ बोले बिना आजकल गाडी नहीं चलती है


झूठ बोलने से कभी-कभी सफलता भी मिलती है !


जो जितना ज्यादा झूठ बोलता है वो उतना ज्यादा पाता है


इतिहास उठा कर देख लो सच बोलने वाला पत्थर ही खaता है !


अजीब विडंबना है ये, की आजकल सच्चे का मुह काला है

सबको पता की झूठे का बोल बाला है !


झूठ तो कुछ है ही नहीं, जहां तक मुझको ज्ञान है


ये मै नहीं कहता कहते वेद पुराण है !


"सर्व खल्विदं ब्रह्म" छान्दोग्योप्निशत का यह मन्त्र है एक


सच और झूठ की लड़ाई अब मुझसे नहीं जाती देख !


जो होता है वो होने दो मेरा यह विचार है


झूठ हमारा नहीं पूर्वजों का संस्कार है !