झूठ हमारा नहीं हमारे पूर्वजो का संस्कार है
जनता, नेता, अभिनेता सबको यह स्वीकार है !
झूठ बोले बिना आजकल गाडी नहीं चलती है
झूठ बोलने से कभी-कभी सफलता भी मिलती है !
जो जितना ज्यादा झूठ बोलता है वो उतना ज्यादा पाता है
इतिहास उठा कर देख लो सच बोलने वाला पत्थर ही खaता है !
अजीब विडंबना है ये, की आजकल सच्चे का मुह काला है
सबको पता की झूठे का बोल बाला है !
झूठ तो कुछ है ही नहीं, जहां तक मुझको ज्ञान है
ये मै नहीं कहता कहते वेद पुराण है !
"सर्व खल्विदं ब्रह्म" छान्दोग्योप्निशत का यह मन्त्र है एक
सच और झूठ की लड़ाई अब मुझसे नहीं जाती देख !
जो होता है वो होने दो मेरा यह विचार है
झूठ हमारा नहीं पूर्वजों का संस्कार है !
बुधवार, 28 अप्रैल 2010
झूठ
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1 comments:
waah...
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