रचनाओ के भरमार मे,
रचना अपरम्पार।
हे देवि अब जागो,
करो नारी विरोधी का संहार।
ये लड़का नारी को,
जींस पहनने नही देता।
लिख रचनाओ के जरिये ये,
रचना की ऐसी तैसी करता।।
हे देवि तुम अब उतरो,
जींस पहन के ही उतर।
न मिले जींस तो देवि,
तुम बरमूडा मे ही उतरो।। - प्रमेन्द्र
रचना अपरम्पार।
हे देवि अब जागो,
करो नारी विरोधी का संहार।
ये लड़का नारी को,
जींस पहनने नही देता।
लिख रचनाओ के जरिये ये,
रचना की ऐसी तैसी करता।।
हे देवि तुम अब उतरो,
जींस पहन के ही उतर।
न मिले जींस तो देवि,
तुम बरमूडा मे ही उतरो।। - प्रमेन्द्र
3 comments:
रच ना ऐसी वैसी रचना
ओ रे रचनाकार !
तुझ में केवल चना बचेगा
निकले यदि रकार !
चना बचा वह किन्तु अकेला
फोड़ न सकता भाड़ !
अब तू मेरी बातें पढ़कर
लेना नहीं डकार !
ओ रे रचनाकार !
--विवेक सिन्ह की रचना सुन्दर है, सटीक परामर्श.
प्रमेन्द्र जी रचना अच्छी बन पड़ी है , परन्तु यहाँ आप किस लड़के की बात कर रहें है ?? आभार
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