अनजाने रिश्ते का एहसास,
बयां करना मुश्किल था ।दिल की बात को ,लबों से कहना मुश्किल था ।।वक्त के साथ चलते रहे हम ,बदलते हालात के साथ बदलना मुश्किल था ।खामोशियां फिसलती रही देर तक,यूँ ही चुपचाप रहना मुश्किल था ।। सब्र तो होता है कुछ पल का ,जीवन भर इंतजार करना मुश्किल था ।वो दूर रहती तो सहते हम , पास होते हुए दूर जाना मुश्किल था ।।अनजाने रिश्ते का एहसास ,बयां करना मुश्किल था ।।
सोमवार, 30 नवंबर 2009
अनजाने रिश्ते का एहसास
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7 comments:
वक्त के साथ चलते रहे हम ,
बदलते हालात के साथ बदलना मुश्किल था ।
खामोशियां फिसलती रही देर तक,
यूँ ही चुपचाप रहना मुश्किल था ।।
सब्र तो होता है कुछ पल का ,
जीवन भर इंतजार करना मुश्किल था ।
वो दूर रहती तो सहते हम ,
पास होते हुए दूर जाना मुश्किल था ।।
मिथिलेश जी बहुत सुन्दर, काव्य में भी लाजबाब पकड़ है आपकी !
बहुत सुंदर।
रिश्ते के एहसास को बहुत खूबसूरत शब्दों में अभिव्यक की है आपने ।बहुत बहुत आशीर्वाद !
क्या खूब कहा है...वाह...
नीरज
ek sachhci baat bahut saral tarike se bayan ki aapne...badhai swikaren
सब्र तो होता है कुछ पल का ,
जीवन भर इंतजार करना मुश्किल था ।
वो दूर रहती तो सहते हम ,
पास होते हुए दूर जाना मुश्किल था ।।
वाह बहुत सुन्दर मगर बेटा एक बात बताओ कि तुम्हारे पास समय ही कब होता है ये एहसास महसूस करने का हर वक्त तो इतने लम्बे लम्बे आलेख ठेलते रहते हो तभी तो वो दूर रहती है । बहुत सुन्दर रचना बधाई
बहुत सुन्दर रचना.
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