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बुधवार, 30 सितंबर 2009

विकलांगता- एक अभिशाप ( सूचना)

विकलांगता एक अभिशाप यह धारणा समाज में बहुप्रचारित है , कहीं इसे पुर्नजन्म के कर्मों से जोड़कर देखा जाता है तो कहीं पाप और पुण्य से जोड़कर । परन्तु यह अवधारणा समाज में धीरे धीरे बदली है । शिक्षा का प्रभाव अपना असर दिखा रहा है । ऐसे में हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम ऐसे लोगों की मदद कर इसने जीवन को सही दिशा में लाने का प्रयास करें ।

दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में विकलांगता दिवस मनाया जाता है । जागरूकता फैलाकर समाज में विकलांग व्यक्ति को मुख्यधारा में शामिल करने की कोशिश की जाती है । लोगों की भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश की जाती है ।

ऐसे में आप भी अपनी सहभागिता देकर इस प्रकार के कार्य को सही दिशा दे सकते हैं । आप अपने विचार , लेख , आलेख , कविता , गीत ( जो विकलांगता पर केन्द्रित हो ) या भी अन्य विधाओं को भेज सकते हैं । इसके लिए ई-मेल पता है - hindisahityamanch@gmail.com . आपके आलेख , लेख , गीत , कविता या किसी भी विधा को समर्पण पत्रिका के " विकलांग विशेषांक" में प्रकाशित किया जायेगा ।

आपको यदि विकलांग व्यक्तियों की मदद के लिए किसी संस्था या फिर अन्य माध्यम के बारे में जानकारी हो तो हमसे जरूर संपर्क करें ।

संचालक ( हिन्दी साहित्य मंच
)

8 comments:

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत सही व सार्थक प्रयास है। आपने जो पहल कि वह प्रशंसनिया है। हिन्दी साहित्य मंच का बहुत-बहुत आभार व शुभाकामनाएं

Urmi ने कहा…

वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने! विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!

Unknown ने कहा…

बढ़िया जानकारी ।। हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा ।

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास है। हिन्दी साहित्य मंच को इस के लिये नहुत नहुत बधाई और शुभकामनायें

मनोज कुमार ने कहा…

एक सार्थक प्रयास के लिए साधुवाद। ऊपर की आपकी टिप्पणी और हौसला पढ़कर एक शेर सुनाने का मन करता है -
उन चिरागों में रोशनी बो दो,
विकलांग तन में जिन्दगी बो दो।
मौन हावी है जिन बहारों पर
उन बहारों में सनसनी बो दो।

मनोज कुमार ने कहा…

एक सार्थक प्रयास के लिए साधुवाद। ऊपर की आपकी टिप्पणी और हौसला पढ़कर एक शेर सुनाने का मन करता है -
उन चिरागों में रोशनी बो दो,
विकलांग तन में जिन्दगी बो दो।
मौन हावी है जिन बहारों पर
उन बहारों में सनसनी बो दो।

समयचक्र ने कहा…

उन चिरागों में हौसलों की खुशबू भर दो
जो रोशनी बनकर चमके इस धरा पर ..
आपने कम से कम विकलांगो के बारे में अच्छा सन्देश दिया है . यह वर्ग मेरी द्रष्टि में उपेक्षित सा रहा है और लोग इनका मजाक उडाते है . हमें इनके विषय में गंभीरता से सोचना चाहिए ये भी हमारे समाज के एक अंग है . ... बड़े हर्ष का विषय है की हमारे ब्लागिंग वर्ग में कुछ विकलांग बंधू भी है जो पूरे हौसले के साथ पूरी शिद्दत के साथ ब्लागिंग कर रहे है .
बहुत बढ़िया नीशू जी
बधाई .

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

इस सार्थक प्रयास के लिए हिन्दी साहित्य मंच की जितनी भी तारीफ की जाए,कम है!!
समाज को जागरूक करने के लिए ऎसे प्रयासों की नितांत आवश्यकता है!!!!!!