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बुधवार, 22 अप्रैल 2009

नया जीवन


टकटकी बाँधकर देखती है

जैसे कुछ कहना हो

और फुर्र हो जाती है तुरन्त

फिर लौटती है

चोंच में तिनके लिए

अब तो कदमों के पास

आकर बैठने लगी है

आज उसके घोंसले में दिखे

दो छोटे-छोटे अंडे

कुर्सी पर बैठा रहता हूँ

पता नहीं कहाँ से आकर

कुर्सी के हत्थे पर बैठ जाती है

शायद कुछ कहना चाहती है

फिर फुर्र से उड़कर

घोंसले में चली जाती है
सुबह नींद खुलती है

चूँ...चूँ ...चूँ..... की आवाज

यानी दो नये जीवनों का आरंभ

खिड़कियाँ खोलता हूँ

उसकी चमक भरी आँखों से

आँखें टकराती हैं

फिर चूँ....चूँ....चूँ...!!!
कृष्ण कुमार यादव

14 comments:

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

Behad sundar abhivyakti.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर. भावपूर्ण रचना.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

कुर्सी पर बैठा रहता हूँ
पता नहीं कहाँ से आकर
कुर्सी के हत्थे पर बैठ जाती है
शायद कुछ कहना चाहती है
________________________
आज विश्व पृथ्वी दिवस पर बेहद सार्थक कविता..साधुवाद !!

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बहुत खूबसूरत कविता है. जितनी बार पढो, मन नहीं भरता.

Bhanwar Singh ने कहा…

कायल हूँ आपकी रचनाधर्मिता का.....इक जुदा अंदाज़ में लिखी कविता.

बेनामी ने कहा…

कृष्ण कुमार जी! बड़ी मासूम कविता लिखी आपने. यह न जाने कितनी बार हमारे साथ होता है, पर आपने इसे कवित्व भाव दे दिया. दाद देता हूँ आपकी.

बेनामी ने कहा…

कृष्ण कुमार जी! बड़ी मासूम कविता लिखी आपने. यह न जाने कितनी बार हमारे साथ होता है, पर आपने इसे कवित्व भाव दे दिया. दाद देता हूँ आपकी.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

चूँ...चूँ ...चूँ..... की आवाज

यानी दो नये जीवनों का आरंभ

खिड़कियाँ खोलता हूँ

उसकी चमक भरी आँखों से

आँखें टकराती हैं

फिर चूँ....चूँ....चूँ...!!!
...शब्दों और भाव की खूबसूरत अभिव्यंजना.

Amit Kumar Yadav ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Akanksha Yadav ने कहा…

इस कविता को पढ़कर तो बचपन के दिनों में खो गयी...अब तो ऐसे वाकये कम ही दिखते हैं.

daanish ने कहा…

ek achhi rachna .......
bahut achha chayan.....
saarathak prayaas......

badhaaee . . .

---MUFLIS---

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति।

कडुवासच ने कहा…

... सुन्दर, अतिसुन्दर!!!!!!!