प्राणों से प्रिय हुआ करती है , बेटी बाप को,
उसके लिए बेच देता है वो अपने आप को,
कौन सा दुख है जो बेटी के लिए सहता नहीं
जिसके घर बेटी जन्म लेती है वह दुखी रहता नहीं,
और उस बेटी को दे देता है किस सम्मान से ,
दान बढ़कर हो नहीं सकता कन्यादान से।।
सोमवार, 6 अप्रैल 2009
बेटी.............[एक कविता ] - अनीता सिंह " अन्नू " की
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4 comments:
सुन्दर रचना है आपकी.
अगर आपकी तरह सोच समाज में विकसित हो जाये तो शायद कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ लगाम लग सके.
अनीता जी , साहित्य मंच पर आपका बहुत बहुत स्वागत है । आपकी सहभागिता से हमारा प्रयास आगे बढ़ेगा । बेटी का सुन्दर चित्रण किया । यह रचना और बड़ी हो सकती थी । बेहतरीन रचना के लिए धन्यवाद
अनीता जी , बहुत ही सुन्दर रचना पेश की है आपने बेटी पर । हकीकत को बयां करती आपकी यह रचना । बहुत बहुत धन्यवाद । शुभकामनाएं
bhut acchi kavita
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