बच्चो,
तुम इस देश के भविष्य हो,
तुम दिखते हो कभी,
भूखे, नंगे ||
कभी पेट की क्षुधा से,
बिलखते-रोते.
एक हाथ से पैंट को पकड़े,
दूजा रोटी को फैलाये ||
कभी मिल जाता है निवाला
तो कभी पेट पकड़ जाते लेट,
होली हो या दिवाली,
हो तिरस्कृत मिलता खाना ||
जब बच्चे ऐसे है,
तो देश का भविष्य कैसा होगा,
फिर भीबच्चो,
तुम ही इस देश के भविष्य हो ||
नोट :- सभी चित्र गूगल से लिए गए है |
6 comments:
sateek v yatharth ko chitrit karti rachna .aabhar
आपका बहूत बहूत शुक्रिया शिखा जी,
मेरी नयी रचना "मिट्टी के दिये" पर आपके सुझावों का स्वागत है |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/mitti-ke-diye.html
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-11-2015) को "छठ पर्व की उपासना" (चर्चा-अंक 2163) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत भावपूर्ण रचना |
आप सभी का आभार, मयंक जी, और आशा जी आपके विचारो से हम नित कुछ-न-कुछ सिखाते है|
आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #चलोसियासतकरआये पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/chalo-siyasat-kar-aaye.html
बहुत ही सुंदर और यथार्थपरक रचना। बच्चे ही हमारा भविष्य हैं। बच्चों की उन्नति के लिए हम बड़ों को सदैव प्रयास करते रहने होगें।
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