पता नही क्यू मै अलग खङा हूं दुनिया से !
अपने सपनो को ढूढता विमुख हुआ हूं दुनिया से !!
पता नही क्यूं मै इस दुनिया से अलग हूं !
मगर मै सोचता कि दुनिया मुझसे अलग है !!
पता नही क्यूं अब ताने सुन कष्ट नही होता !
पता नही क्यूं अब तानो का असर नही होता !!
पता नही क्यूं लोगो को है मुझसे है शिकायत !
पता नही क्यूं बिना बात के दे रहे है हिदायत !!
पता नही क्यूं लोगो की सोच है इतनी निर्मम !
पतानही क्यूं इस दुनिया की डगर है इतनी दुर्गम !!
अपने सपनो को ढूढता विमुख हुआ हूं दुनिया से !!
पता नही क्यूं मै इस दुनिया से अलग हूं !
मगर मै सोचता कि दुनिया मुझसे अलग है !!
पता नही क्यूं अब ताने सुन कष्ट नही होता !
पता नही क्यूं अब तानो का असर नही होता !!
पता नही क्यूं लोगो को है मुझसे है शिकायत !
पता नही क्यूं बिना बात के दे रहे है हिदायत !!
पता नही क्यूं लोगो की सोच है इतनी निर्मम !
पतानही क्यूं इस दुनिया की डगर है इतनी दुर्गम !!
1 comments:
bahoot achchha
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