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रविवार, 14 अगस्त 2011

उनको तो सिर्फ कफ़न होगा {कविता} अंकुर मिश्र :युगल"

सच चाहे जितना तीखा हो धंस जाये तीर सा सीने में !
सुनने वाले तिलमिला उठे लथपथ हो जाये पसीने में !!
लेकिन दुर्घटना के भय से कब तक चुपचाप रहेंगे हम !
नस-नस में लावा उबल रहा कितना संताप सहेगे हम !!
जिन दुष्टों ने भारत माँ की है काट भुजा दोनों डाली!
पूंजे जो लाबर,बाबर को श्री राम चंद्र को दे गली !!
उन लोगो को भारत भू पर होगा तिलभर होगा स्थान नहीं !
वे छोड़ जाएँ इस धरती को उनका ये हिंदुस्तान नहीं !!
हमको न मोहम्मद से नफ़रत, ईसा से हमको बैर नहीं !
दस के दस गुरु अपने उनमे से कोई गैर नहीं !!
मंदिर में गूंजे वेदमंत्र गुरु-द्वारों में अरदास चले !
गिरजाघर में घंटे बजे मस्जिद में में खूब नवाज चले !!
होगा न हमें कुछ एतराज इसका न तनिक भी गम होगा !
पर करे देश से गद्दारी उनको तो सिर्फ कफ़न होगा !!

4 comments:

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bhaai aek sach to anna ne bolaa hai jo jntaa ki aavaaqz hai use srkaar to pachaa nahin paa rahi hai ....akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दमदार ललकार।

SACCHAI ने कहा…

" adbhut ...bahut hi damdaar rachana "

http://eksacchai.blogspot.com/2011/08/blog-post_10.html

web hosting india ने कहा…

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