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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

निश्छल मन होते जहाँ-----(दोहा)--श्यामल सुमन---

सुमन प्रेम को जानकर बहुत दिनों से मौन।
प्रियतम जहाँ करीब हो भला रहे चुप कौन।।

प्रेम से बाहर कुछ नहीं जगत प्रेममय जान।
सुमन मिलन के वक्त में स्वतः खिले मुस्कान।।

जो बुनते सपने सदा प्रेम नियति है खास।
जब सपना अपना बने सुमन सुखद एहसास।।

नैसर्गिक जो प्रेम है करते सभी बखान।
इहलौकिकता प्रेम का सुमन करे सम्मान।।

सृजन सुमन की जान है प्रियतम खातिर खास।
दोनो की चाहत मिले बढ़े हृदय विश्वास।।

निश्छल मन होते जहाँ प्रायःसुन्दर रूप।
सुमन हृदय की कामना कभी लगे न धूप।।

आस मिलन की संग ले जब हो प्रियतम पास।
सुमन की चाहत खास है कभी न टूटे आस।

व्यक्त तुम्हारे रूप को सुमन किया स्वीकार।
अगर तुम्हें स्वीकार तो हृदय से है आभार।।

9 comments:

Anupama Tripathi ने कहा…

sunder dohe ....
sabhi ek se badhkar ek ....!!

संध्या शर्मा ने कहा…

निश्छल मन होते जहाँ प्रायःसुन्दर रूप।
सुमन हृदय की कामना कभी लगे न धूप।।

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ... सुन्दर भावयुक्त...

शिवा ने कहा…

व्यक्त तुम्हारे रूप को सुमन किया स्वीकार।
अगर तुम्हें स्वीकार तो हृदय से है आभार।।

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ... सुन्दर भावयुक्त...

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (23.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:-Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

sunder dohe
sahityasurbhi.blogspot.com

udaya veer singh ने कहा…

prabhavshil dohe . achhe lage
abhvyakti ko murt -rup pradan karte huye layvadh ho chale hain.

Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…

निश्छल मन होते जहाँ प्रायःसुन्दर रूप।
सुमन हृदय की कामना कभी लगे न धूप।।

आस मिलन की संग ले जब हो प्रियतम पास।
सुमन की चाहत खास है कभी न टूटे आस।


सभी दोहे लाजवाब हैं...
आपको हार्दिक बधाई।

श्यामल सुमन ने कहा…

आप सभी के शब्द - मेरे कलम की उर्जा - श्यामल सुमन का विनम्र आभार - सतत स्नेहाकांक्षी।
सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

ek se ek sabhi dohe laajawab.