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बुधवार, 8 दिसंबर 2010

क्या यही संस्कृति हमारी है??-----(कविता)----रेनु सिरोया

हाथ थाम कर चलो लाडले वरना तुम गिर जाओगे,

आँख के तारे हो दुलारे हमको दुखी कर जाओगे,

राजा बेटा पढ़ लिख कर तुम्हे बड़ा आदमी बनना है,

नाम कमाना है दुनियां में कुल को रोशन करना है,

सब कुछ गिरवी रखकर माँ बाप ने उसे पढाया,

जी सके वो शान जग में इस काबिल उसे बनाया,

बड़ा ऑफिसर बन गया बेटा माँ बाप की खुशियाँ चहकी,

सब दुःख दूर हमारे होंगे ऐसी उम्मीदे महकी,

बड़ी ख़ुशी से सुन्दर कन्या से उसका ब्याह रचाया,

ढोल नगाड़े शहनाई संग दुल्हन घर में लाया,

कुछ बरस में नन्हा पोता घर आँगन में आया,

लेकिन बेटा रहा न अपना जिस पर सब लुटाया,

एक दिन बेटा बोला माँ से माँ ये सब कुछ मेरा है,

मैने कमाया मैने बनाया ये नहीं तुम्हारा डेरा है,

माँ बोली बेटा तुम मेरे, घर मेरा है, फिर हममे कौन पराया है,

तुमसे ही है हमारी खुशियाँ मुश्किल से तुम्हे पाया है,

माँ-बापू के आंसू उसके दिल को ना पिघला पाये ,

उनकी कोमल ममता पर पत्थर भी बरसाये,

फिर बोला सामान बांधलो वृधाश्रम छोड़ आता हूँ,

हम भी सुखी रहे तुम भी सुखी रहो बस यही मै चाहता हूँ,

सुन्न हो गया अंतर्मन माँ-बाबा अब क्या बोले,

भूल हुई है क्या हमसे अपने अन्दर ये टटोले,

दोनों सोचे क्या अब कोई जग में नहीं सहारा है,

बिछड़ के संतान से हमने अपना सब कुछ हारा है ,

फिर भी नहीं शिकायत कोई आखिर अपना खून है,

वो न समझे दिल की व्यथा पर अपने आँगन का फूल है,

पोते को दुलराया और कातर नजरों से देखा,

कुछ क्षण रुक कर बोले, हमें कुछ तुमसे कहना है,

अपने मम्मी -पापा की बेटा हरदम सेवा करना,

दुःख में सुख में हर हालत में तुम हाथ थाम कर रखना,

खुश रहो मुस्काओ हरपल दुआ यही हमारी है,

शायद तुम ना समझोगे कि तुमसे दुनियां सारी है,

कैसी विडंबना है रिश्तों की ममता भी चित्कारी है,

बुजूर्गो का सम्मान नहीं सोचो क्या यही संस्कृति हमारी है??????????? 

4 comments:

Mithilesh dubey ने कहा…

सच्चाई का बोध कराती लाजवाब रचना ।

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आज के परिवारिक परिवेश में माँ बाप के वात्सल्य का जो सिला मिलता है,उसे चरितार्थ करती बहुत ही संवेदनात्मक काव्य रचना.......

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

bhn renu ji zindgi kaa aek kdva sch he or ise sbhi ko shnaa he bhut achchi jivnt rchnaa bdhaayi. akhtar khan akela kota rajsthan

Unknown ने कहा…

samajik byawastha ko todati loktantr ki byawastha ka ek namuna !jisase sabhi pidit hai aur yah bhi sach hai ki sabake sath eisa hona hai ?