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बुधवार, 14 जुलाई 2010

पूजा की थाली हो गई................नीरज गोस्वामी

बात सचमुच में निराली हो गईं
अब नसीहत यार गाली हो गई 

ये असर हम पर हुआ इस दौर का
भावना दिल की मवाली हो गई

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई

तय किया चलना जुदा जब भीड़ से 
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी 

कैद का इतना मज़ा मत लीजिये 
रो पड़ेंगे, गर बहाली हो गयी 

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी 
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी 

हाथ में क़ातिल के ‘‘नीरज’’ फूल है
बात अब घबराने वाली हो गई

9 comments:

हिन्दी साहित्य मंच ने कहा…

नीरज जी .....बहुत ही सुन्दर रचना

shikha varshney ने कहा…

डाल दीं भूखे को जिसमें रोटियां
वो समझ पूजा की थाली हो गई
कितनी खूबसूरत बात है..

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बात सचमुच में निराली हो गईं
अब नसीहत यार गाली हो गई
और-
तय किया चलना जुदा जब भीड़ से
हर नज़र देखा, सवाली हो गयी
बहुत सुन्दर गज़ल.

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

vaah! aur fir Vaah!

मनोज कुमार ने कहा…

थी अमावस सी हमारी ज़िन्दगी
मिल गये तुम, तो दिवाली हो गयी
वाह!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पहले पढ़ी है। आज भी वाह वाह।

निर्मला कपिला ने कहा…

पहले पढी है मगर बार बार पढ कर भी दोबारा पढने को मन करता है। लाजवाब गज़ल के लिये नीरज जी को बधाई।

sunita krishna ने कहा…

bat sachmuch mein nirali ho gayee
ab nasihat yar gali ho gayee
yathartha anubhavi satya bahut badiya

irshad ने कहा…

bahtarin gazal ke liye mubarkbad