आखिर किस सभ्यता का बीज बो रहे हैं लोग
अपनी ही गलतियों पर आज रो रहे हैं लोग
हर तरफ फैली है झूठ और फरेब की आग
फिर भी अंजान बने सो रहे है लोग
दौलत की आरजू में यूं मशगूल हैं सब
झूठी शान के लिए खुद को खो रहे हैं लोग
जाति, धर्म और मजहब के नाम पर
लहू का दाग लहू से धो रहे हैं लोग
ऋषि मुनियों के इस पाक जमीं पर
क्या थे और क्या हो रहे है लोग
बुधवार, 2 जून 2010
लोग...................... {कविता}................ सन्तोष कुमार "प्यासा"
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3 comments:
आखिर किस सभ्यता का बीज बो रहे हैं लोग
अपनी ही गलतियों पर आज रो रहे हैं लोग
हर तरफ फैली है झूठ और फरेब की आग
वाह,वाह संतोष जी ,क्या बात कही है ,बहुत खूब ....
इन्सान को हमेसा हर हाल में सच और सिर्फ सच का साथ देने की पुरजोर कोशिस करनी चाहिए /
ऐसे ही लिखते रहिये और सच्चाई को जमीन पर उतारने की कोशिस भी करते रहिये |
क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
bahut achi kavita bas is se jayada nahi ki ja sakti tippani
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