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शुक्रवार, 28 मई 2010

दोस्त.....................(कविता).................अनुराधा शेषाद्री

ऐ दोस्त तेरी दोस्ती का रिश्ता बहुत गहरा है
न जाने किस उम्मीद पर दिल ठहरा है
ऐ दोस्त यह रूह से रूह की गहराईयों का रिश्ता है
जो रिश्तों से परे मोहब्बत की डोर से बंधा है
ऐ दोस्त यह एक प्यारा सा मासूमियत का रिश्ता है
जिसमे रूठकर मनाने का एक सिलसिला है
ऐ दोस्त यह पाक इरादों का रिश्ता है
जिसमे दिल हर वक्त तेरी खुशियों की दुआ करता है
ऐ दोस्त यह एक गुमनाम सा रिश्ता है
जो लोगों की रुस्वायिओं से डरता है
ऐ दोस्त यह तेरा नहीं न ही मेरा रिश्ता है
यह तो उस खुदा का प्यारा सा रिश्ता है
ऐ दोस्त यह दूरियों और फासलों से परे का रिश्ता है
जिसमे हरदम तू ही तू मेरे पास हुआ करता है
ऐ दोस्त यह उन ख्वाहिशों और तमन्नाओं का रिश्ता है
जिसमे दिल हर वक्त तुझसे मिलने की दुआ करता है
ऐ दोस्त यह ख्यालों में खुदा को पाने का रिश्ता है
क्योंकि खुद खुदा तुझमे ही दिखता है

6 comments:

ananad banarasi ने कहा…

apne ak aisi pribhasha di hai jo dosti ki marmikta ko vyakt karti hai anuradha ji apne virah bhi darshaya aur perm bhi mere najro me ye dodti aur prem dono ko dikhane vali ak pyari shi kavita hai

माधव( Madhav) ने कहा…

run of the mill

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया!

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

वाणी गीत ने कहा…

जाने किस उम्मीद पर दिल ठहरा है ...
अच्छी कविता ...
हिंदी साहित्य के ब्लॉग पर साक्षात्कार शब्द गलत लिखा जाना अखर रहा है ...!!

Radhika ने कहा…

nice my friend is happy because She likes poem on friendship Very nice poem