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सोमवार, 3 मई 2010

पहचानो ... ........[व्य़ंग्य]----------मोनिका गुप्ता

मैं हू कौन .. जी हाँ, क्या आप जानते हैं कि मै हूँ कौन ...चलिए मैं हिंट देता हूँ .. सबसे पहले मै यह बता दू कि मैं आम आदमी नही हूँ . मुझसे मिलने के लिए लोगो की भीड लगी रहती है पर मै जिला उपायुक्त नही हूँ. मेरे आगे पीछे 4-4 अंगरक्षक घूमते हैं पर मैं पुलिस कप्तान भी नही हूँ .मेरे पीछे दिन रात जनता पडी रहती है पर मैं कोई स्वामी जी या कही का महाराज भी नही हूँ.

मेरे बच्चे स्कूल मे प्रथम आते हैं और सभी स्कूल के प्रोग्रामो मे हिस्सा लेते हैं सारा स्टाफ मेरा सम्मान करता है पर मै स्कूल का प्रिंसीपल भी नही हूँ.

जिले मे कोई भी कार्यक्रम होता है तो मुझे जरुर बुलाया जाता है . मेरे साथ फोटो खिचवाई जाती है. रिबन कट्वाया जाता है ताली बजा कर स्वागत किया जाता है मेरी बातो को समाचार पत्र मे मुख्य स्थान दिया जाता है पर मै किसी समाचार पत्र का सम्पादक भी नही हू.

मेरे पास सभी खास अफसरो के फोन आते रहते है या मै जब भी फोन करता हू तो वो तुरंत पहचान जाते हैं और मुझे और मेरे परिवार को भोजन पर बुलाते हैं.

मुझे देख कर कौन कितना जला भुना या कितना खुश हुआ मैं सब जानता हूँ. आप सोच रहे होगें कि मैं यकीनन ही कोई पागल हू जो ऐसे ही बात किए जा रहा है तो जनाब, मै बताता हू कि मै कौन हूँ
. मै हूँ चमचा”. एक दम चालू चक्रम चमचा .लोगो की चापलूसी करने मे सबसे आगे .थूक कर चाट्ने मे सबसे आगे . शहर मे कौन बडा अफसर है कौन नेता है उनकी पत्नी, बच्चे और तो और उनके कुतॆ का नाम उसकी पसंद ना पसंद सभी मुझे पता है . सभी को खुश रखना मेरा परम धर्म है तभी तो लोग मुझे फोन करके मुझसे मिलने को बैचेन रहते हैं क्योकि वो जानते है कि मै ही उनके काम करवा सकता हूँ.

मै भी महान हूँ पता है जब मेरा मन होता है तब फोन उठाता हूँ

जब मन नही होता तब फोन उठाता ही नही चाहे कितनी घंटी बजती रहे. मै जानता हूँ कि जिसने मेरे पास चक्कर लगाने है वो तो लगाएगा ही चाहे घंटो ही इंतजार ही क्यो ना करना पडे

ना सिर्फ बडे लोगो से बलिक मीडिया से भी मै बना कर रखता हूँ. समय समय पर मैं प्रैस कांफ्रैस करता रहता हूँ ताकि वो सैट रहे. लोगो के काम के लिए लंबी कतार मेरे घर या दफतर मे कभी भी देखी जा सकती है . पता है मै गिरगिट की तरह रंग बदलने मे माहिर हूँ. कल जो मेरा जानी दुश्मन था आज वो मेरे साथ बैठ कर चाय पी रहा होता है.या आज मै जिसके संग चाय पी रहा हू वो कल मेरा जानी दुश्मन बन सकता है काम निकलवाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ किसी भी हद तक जा सकता हूँ. बस अधिकारी लोग खुश रहने चाहिए.

ये चमचागिरि मुझे अपने बडो से विरासत मे नही मिली बलिक समय और हालात को देखते हुए मुझे सीखनी पडी .मै जानता हूँ कि भले ही लोग मुझे पीठ पीछे गाली देते होगें मुझे अकडू की उपाधि भी दे दी होगी पर मुझे कोई असर नही. मै आज जो भी हूँ बहुत खुश हूँ.

तो दोस्तो, अगर आप भी खुश रहना चाहते हैं तो एक बार चमचागिरी के मैदान मे आ जाओ यकीन मानो एक बार समय तो लगेगा, अजीब भी लगेगा पर कुछ समय बाद आपको खुद ही अच्छा लगने लगेगा.

सच पूछो तो आज का समय शराफत, महेनत और ईमानदारी का नही है क्योकि उनकी कोई कद्र ही नही है या ये कहे कि सबसे ज्यादा पिसता ही शरीफ आदमी है इसलिए तो मुझे भी चमचागिरी को अपनाना पडा. तो अगर आप सुखी रहना चाहते है अपने सारे काम भी निकलवाना चाहते हैं तो बनावट और दिखावे की दुनिया मे आपका स्वागत है बिना देरी किए तुरंत आए और अधिक जानकारी के लिए शहर के किसी भी बडे अफसर से आप मेरा पता पूछ सकते हैं...

3 comments:

हिन्दी साहित्य मंच ने कहा…

बहुत खूब लगी आपकी ये रचना ।

श्यामल सुमन ने कहा…

पढ़ा आपको, ये लगा, सुमन बहुत नादान।
बहुत मुयबारक आपको करते काज महान।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

vandana gupta ने कहा…

बहुत खूब लिखा है।