महज़ अलफाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता
कोई पेशा ,कोई व्यवसाय नही है कविता ।
कविता शौक से भी लिखने का काम नहीं
कविता इंसान के ह्रदय का उच्छ्वास है,
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नही हैं कविता
कभी भी कविता विषय की मोहताज़ नहीं
कभी कविता किसी अल्हड यौवन का नाज़ है
कभी दुःख से भरी ह्रदय की आवाज है
कभी रोटी की , कभी भूख की कहानी है ।
कोई पेशा , कोई व्यवसाय नहीं है कविता ॥
मुफलिस ज़िस्म का उघडा बदन है कभी
बेकफन लाश पर चदता हुआ कफ़न है कभी ।
बेबस इंसान का भीगा हुआ नयन है कभी,
सर्दीली रात में ठिठुरता हुआ तन है कभी ।
कविता बहती हुई आंखों में चिपका पीप है ,
कविता दूर नहीं कहीं, इंसान के समीप हैं ।
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,
कोई पेशा, कोई व्यवसाय नहीं है कवित
9 comments:
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,
कोई पेशा, कोई व्यवसाय नहीं है कविता
बिलकुल सही कहा दीपक जी आप ने .......
कविता से ही जाना क्या है कविता ...सरल शब्दों में सब कुछ बताया है आपने ...
महज़ अल्फाज़ से खिलवाड़ नहीं है कविता,
कोई पेशा, कोई व्यवसाय नहीं है कवित
BAHUT KHUB
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
bahut khub kavita ka sar likh diya hai aapne ....kavita me ...
tariph k liye shabad nahi hai ...badhai
कविता की एक सही पहचान...बढ़िया रचना..दीपक जी बधाई
महज शब्दों का खिलवाड़ नहीं
कविता कोई व्यवसाय नहीं
दिल झूम रहा हो या उदास हो ...जो शब्द बिना प्रयास या सायास होठों के किनारे आ ठिठके ...कविता बन जाते हैं ...
बढ़िया लगी यह परिभाषा.
कविता इंसान के ह्रदय का उच्छ्वास है,
मन की भीनी उमंग , मानवीय अहसास है ।
कभी कविता किसी अल्हड यौवन का नाज़ है
कभी दुःख से भरी ह्रदय की आवाज है
कभी धड़कन तो कभी लहू की रवानी है
कभी रोटी की , कभी भूख की कहानी है ।
बेबस इंसान का भीगा हुआ नयन है कभी,
सर्दीली रात में ठिठुरता हुआ तन है कभी ।
वाह जी वाह ! निहायक खुबसूरत और बेहतरीन कविता है ! आपकी यह परिभाषा बहुत पसंद आई ।
मानवीय अहसास है ।---यहीं कविता सामाजिक सरोकार होजाती है, जिसके बिना कविता का कोई अर्थ नही होता.
---खूबसूरत परिभाषा. बधाई.
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