मंदिरों की घंटियों की गूँज से ,
शंखनाद की ध्वनियों से
वीररस से भरे जोशीले गीत से
नव प्रभात की लालिमा ली हुई सुबह से ,
कल्पित भारत वर्ष की छवि
आँखों में रच बस जाती है
लेकिन
नंगे बदन घूमते बच्चों को ,
कुपोषण और संक्रमण से जूझती
गर्भवती महिला को
और
चिचिलाती धुप में मजार पर बैठा
गंदे और बदबूदार उस इन्सान को
तो बदल जाती है
आँखों में बसी तस्वीर ,
फिर सोचता हूँ
इस भीड़ तंत्र के बारे में ,
जो
व्यवस्था और व्यवस्थापक के बीच
लड़ रहा है
दो जून की रोटी को ,
तब
बदल जाती हैं परिभाशायें
जो समझाती है
आकडे की वास्तविकता को
जिसमें सच नहीं
झूठ का पुलिंदा बंधा है हमारे लिए
महसूस करता हूँ
दर्द और कलह की वेदना को,
सुख और दुःख के फासले को
जो दिखा रहा है दर्पण
तमाम झूठी छवियों का ,
जिसमे असंख्य प्राणियों के
संघर्ष को बेरहमी से कुचल दिया जाता है
क्यूँ की
दर है तानाशाहों को
की कही न हो जाये पैदा
और खतरे में न पड जाये आस्तित्व
इसलिए
इनको ऐसे ही जीने दो ...
मंगलवार, 13 अप्रैल 2010
तस्वीर .....(कविता) ..नीशू तिवारी
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10 comments:
apne kaphi achchha darpan dikhaya jo shamaj ka sach hai
नंगे बदन घूमते बच्चों को ,
कुपोषण और संक्रमण से जूझती
गर्भवती महिला को
और
चिचिलाती धुप में मजार पर बैठा
गंदे और बदबूदार उस इन्सान को
तो बदल जाती है
आँखों में बसी तस्वीर ,
वास्तविकता के करीब आप की ये रचना .....जितनी प्रसशा की जाये कम होगी ....
kya kahe .....iss kavita par shabad hi nahi hai .....bahut khub bahi ji .....
kya kahe .....iss kavita par shabad hi nahi hai .....bahut khub bahi ji ..
सुख और दुःख के फासले को
जो दिखा रहा है दर्पण
तमाम झूठी छवियों का ,
जिसमे असंख्य प्राणियों के
संघर्ष को बेरहमी से कुचल दिया जाता है
क्यूँ की
दर है तानाशाहों को
की कही न हो जाये पैदा
और खतरे में न पड जाये आस्तित्व
इसलिए
इनको ऐसे ही जीने दो ...
sunadar rachna
bahut khub
shkhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
sach kaha manavta itni sankerrna ho gayi hai...jo jitna dabe utna dabao..use uthne ka mauka bhi na do...kya hoga mere bharat ka...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
वास्तविकता दिखाती रचना बहुत अच्छी..............
ओह! क्या कहा जाये!
aaj ke samaj aur arthvyavastha par karara tamacha hai............ati sundar
समाज मे व्याप्त सच्चाई को उकेरती सच्ची रचना लगी , आभार ।
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