उन गलियों में चाहता है घूमना
जहाँ धूल से अटे ....
बिन बात के खिलखिलाते हुए
कई बरस बिताये थे हमने ..
बहुत दिन हुए ...........
फिर से हंसी की बरसात का
बेमौसम वो सावन नहीं देखा ...
बनानी है एक कश्ती
कॉपी के पिछले पन्ने से,
और पुराने अखबार के टुकडों से..
जिन्हें बरसात के पानी में,
किसी का नाम लिख कर..
बहा दिया करते थे ...
बहुत दिन हुए .....
गलियों में छपाक करते हुए
दिल ने वो भीगना नहीं देखा .....
एक बार फिर से बनानी है..
धूमती हुई वह गोल फिरकियाँ,
और रंगने हैं होंठ फिर..
रंगीन बर्फ के गोलों...
और गाल अपने..
जिनको देखते ही...
मन मचल मचल जाता था
बहुत दिन हुए ..
यूँ बचपने को .....
फिर से जी के नहीं देखा....
और एक बार मिलना है
जिनको ब्याह दिया था..
सामने वाली खिड़की के गुड्डे से
बहुत दिन हुए ..
किसी से यूँ मिल कर
दिल ने बतियाना नहीं देखा ..
बस ,एक ख़त लिखना है मुझे
उन बीते हुए लम्हों के नाम
उन्हें वापस लाने के लिए
बहुत दिन हुए ..
यूँ दिल ने
पुराने लम्हों को जी के नहीं देखा ....
शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010
बहुत दिन हुए ........ [कविता]--------------रंजना (रंजू ) भाटिया
एक लम्हा दिल फिर से
टूटी हुई चूड़ियों की वो लड़ियाँ,
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17 comments:
बहुत खूबसूरती से आपने बचपन को याद किया।
बहुत दिन हुए ...........
फिर से हंसी की बरसात का
बेमौसम वो सावन नहीं देखा ...
बहुत खूब रंजना जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत दिन हुए ..
यूँ बचपने को .....
फिर से जी के नहीं देखा...
बिल्कुल सही .. सिर्फ यादे ही रह जाती हैं बचपन की !!
बचपन की याद ...
अच्छी कविता
क्या बात है...बहुत शिद्दत से याद किया बचपन को!
बहुत ही खूबसूरती से आपने बचपन की यादों को शब्दो में पिरोया है ।
वाह रँजू जी आपने तो हमे भी बचपन मे पहुँचा दिया
बहुत दिन हुए ...........
फिर से हंसी की बरसात का
बेमौसम वो सावन नहीं देखा
बचपन का किसी मौसम या किसी घटना से क्या लेना देना। हर पल खुशी है तभी तो सब को बचपन की यादों मे खोना अच्छा लगता है। सुन्दर कविता के लिये बधाई
रंजना जी इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आभार ।
बचपन की यादों को ताजा करती बेहतरीन कविता , रंजना जी को बधाई ।
बहुत दिन हुए .....
गलियों में छपाक करते हुए.
रंजना जी, आपने बचपन को याद करते हुए, जो पंक्तियाँ उकेरी हैं. मन तृप्त हो गया.
purane lamhe lout nahi pate bas yado me simat jaate hai..khoobsurat kavita...
बचपन के दिन भी क्या दिन थे .? बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
बहुत सुन्दर रचना है...बचपन की यादें फिर ताजा कर दी आपने...
aap ki kavita dil tak utar gayi . dhanyavaad
वाह सहाब, सुन्दर प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी..आभार!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
bachpan ki yadon ko khoobsoorti se sanjoya hai.
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