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7 comments:
" bahut hi acchi rachana ..acche bhavoan ke saath ."
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
यह कंचन सा रूप तुम्हारा,
निखर उठा सुरसरि धारा में,
जैसे सोनपरी सी कोई ,
हुई अवतरित सहसा जल में,
अथवा पद वंदन को उतरा ;
स्वयं इंदु ही गंगा- जल में ||
बहुत खूब....
यह कंचन सा रूप तुम्हारा,
लाजवाब कल्पना लगी, बेहद उम्दा भाव ।
चन्द शब्दो में आपने सब कुछ पिरो दिया है ।
बेहद लाजवाब अभिव्यक्ति लगी, बहुत-बहुत बधाई आपको इस सुन्दर रचना के लिए ।
Sundar rachna. Badhaayi.
आपका पोस्ट पढ़कर तो आनन्द आ गया!
इसे चर्चा मंच में भी स्थान मिला है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/01/blog-post_28.html
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