उनकी एक झलक पाने की ख़ातिरहम नैन बिछाए रहते हैं,न जाने कब वो आ जाएंइस कारण एक आँख राह मेंऔर दूजा काम में टिकाए रखते हैं,इंतज़ार ख़त्म हुआउनका दीदार हुआ,सोचा था जब वो मिलेंगे हमसेदिल की बात बयाँ करेंगे,अपने सारे जज़बात उनको बता देंगे,हाय ये क्या गजब हुआजो सोचा था उसका विपरीत हुआ,वो आए..थोड़ा सा मुस्कुराएऔर कह दी उन्होने ऐसी बातजिससे दिल को हुआ आघात,कहा उस ज़ालिम नेमेरा हमदम है कोई और,मेरी मंज़िल है कोई औरबस कहने आयी थी दिल की बातफिर होगी अगले बरस मुलाकात ।।
रविवार, 20 दिसंबर 2009
फिर होगी अगले बरस मुलाकात
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3 comments:
बहुत खूब!
कभी कभी मेरे यार ऐसा ही होता है।
हँसता है वो और दिल अपना रोता है।
वो आए, और कुछ कहकर चले गए।
जिनके इंतजार में, दीये से हम जले गए।
अहिंसा का सही अर्थ
बहुत सुन्दर कविता , शुभकामनायें !
अब क्या किया जा सकता है... ज्यादातर ऐसा ही होता है..॥
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
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