खामोश रात में तुम्हारी यादें,
हल्की सी आहट के
साथ दस्तक देती हैं,
बंद आखों से देखता हूँ तुमको,
इंतजार करते-करते
परेशां नहीं होता अब,
इंतजार करते-करते
परेशां नहीं होता अब,
आदत हो गयी है तुमको देर से आने की,
कितनी बार तो शिकायत की थी तुम से ही,
पर
क्या तुमने किसी बात पर गौर किया ,
नहीं न ,
कितनी बार तो शिकायत की थी तुम से ही,
पर
क्या तुमने किसी बात पर गौर किया ,
नहीं न ,
आखिर मैं क्यों तुमसे इतनी ,
उम्मीद करता हूँ ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ,
तुम पर,
उम्मीद करता हूँ ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ,
तुम पर,
जान पाता कुछ भी नहीं ,
पर तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हैं,
तन्हाई में,
उदासी में ,
जीवन के हस पल में,
पर तुमसे ही सारी उम्मीदें जुड़ी हैं,
तन्हाई में,
उदासी में ,
जीवन के हस पल में,
खामोश दस्तक के
साथ आती हैं तुम्हारी यादें,
महसूस करता हूँ तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
साथ आती हैं तुम्हारी यादें,
महसूस करता हूँ तुम्हारी खुशबू को,
तुम्हारे एहसास को,
तुम्हारे दिल की धड़कन का बढ़ना,
और तुम्हारे चेहरे की शर्मीली लालिमा को,
महसूसस करता हूँ-
और तुम्हारे चेहरे की शर्मीली लालिमा को,
महसूसस करता हूँ-
तुम्हारा स्पर्श,
तुम्हारी गर्म सांसे,
उस पर तुम्हारी खामोश और
आगोश में करने वाली मध्धम बयार को।
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को..........
तुम्हारी गर्म सांसे,
उस पर तुम्हारी खामोश और
आगोश में करने वाली मध्धम बयार को।
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को..........
13 comments:
खामोश रात में बंद पलकों से,
इंतजार करता हूँ तुम्हारी इन यादों को..........
उफ़ ये यादें . कितना तरसाती हैं ..... मन को लुभाती भी हैं .......... बहुत अच्छी अभिव्यक्ति है ........
बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति , बधाई !!
बंद आखों से देखता हूँ तुमको,
इंतजार करते-करते ।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ऐसी रोमेंटिक यादें तो गढ़ी भी जा सकती हैं, नहीं ?
बहुत प्यार भरी रचना है..
बहूत खूब....
वेदना, करुणा और दुःखानुभूति का अच्छा चित्रण।
बेटा जी इस पर तो कह चुकी हूँ जो कहना है। सुन्दर। अरे तुम्हारे पास समय कब होता है याद करने को सारा दिन तो लिखते रहते हो क्यों झूठ बोल रहे हो उससे? आशीर्वाद्
"आखिर मैं क्यों तुमसे इतनी ,
उम्मीद करता हूँ ,
क्यों मैं विश्वास करता हूँ,
तुम पर,"
अपने ज़ज़्बात में नगमात रचाने के लिये
मैंने धड़कन की तरह दिल में बसाया है तुझे
मैं तसव्वुर भी ज़ुदाई का भला कैसे करूँ
मैंने किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है इस रचना में शुक्रिया
behad sunder abhivyakti hai or pyaare ahsas.
एक-एक पल प्यार के उतरना....काफी बड़ी चनौती ले ली साहब आपने...!!!
बधाई हो..!
कभी कभी यह सब पढ़ना भी अच्छा लगता है ।
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