रिश्ते बंद है आज
चंद कागज के टुकड़ो में,
जिसको सहेज रखा है मैंने
अपनी डायरी में,
कभी-कभी खोलकर देखता हूँ
उनपर लिखे हर्फों को
जिस पर बिखरा है
प्यार का रंग,
वे आज भी उतने ही ताजे है
जितना तुमसे बिछड़ने से पहले,
लोग कहते हैं कि बदलता है सबकुछ
समय के साथ,
पर ये मेरे दोस्त
जब भी देखता हूँ गुजरे वक्त को,
पढ़ता हूँ उन शब्दो को
जो लिखे थे तुमने,
गूजंती है तुम्हारी आवाज
कानो में वैसे ही,
सुनता हूँ तुम्हारी हंसी को
ऐसे मे दूर होती है कमी तुम्हारी,
मजबूत होती है रिश्तो की डोर
इन्ही चंद पन्नो से,
जो सहेजे है मैंने न जाने कब से।
6 comments:
बहुत सुंदर रचना !!
कागज में बंद चाँद रिश्ते ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ..!!
मनुष्य के लिए हवा-पानी की तरह ही रिश्ते भी जरूरी हैं। इन्हें जितना अपने पास रखा जाए, उतना ही सुकून देते हैं। आपकी अभिव्यक्ति पसन्द आयी, बधाई।
कानो में वैसे ही,
सुनता हूँ तुम्हारी हंसी को
ऐसे मे दूर होती है कमी तुम्हारी,
मजबूत होती है रिश्तो की डोर
इन्ही चंद पन्नो से,
बहुत ही सुन्दर शब्दों का चयन, भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये बधाई ।
बहुत बढ़िया रचना है।
वक्त गुजर जाता है पर यादें रह जाते हैं
भले ही आज रिश्ते टूट रहे हैं पर रिश्तों की अपनी अहमियत है
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