यूँ ही उदास है दिल बेकरार थोड़ी है
मुझे किसी का कोई इंतजार थोड़ी है
नजर मिला के भी तुम से गिला करूँ कैसे
तुम्हारे दिल पे मेरा इख़्तियार थोड़ी है
मुझे भी नींद न आए उसे भी चैन न हो
हमारे बीच भला इतना प्यार थोड़ी है
ख़िज़ा ही ढूंडती रहती है दर-ब-दर मुझको
मेरी तलाश मैं पागल बहार थोड़ी है
न जाने कौन यहाँ सांप बन के डस जाए
यहाँ किसी का कोई ऐतबार थोड़ी है
4 comments:
यहाँ किसी का ऐतबार थोड़ी है । बहुत खुब कहा परवाज जी आपने
यूँ ही उदास है दिल बेकरार थोड़ी है
मुझे किसी का कोई इंतजार थोड़ी है
नजर मिला के भी तुम से गिला करूँ कैसे
तुम्हारे दिल पे मेरा इख़्तियार थोड़ी है
bahut khub
बहुत उम्दा!!
सर्जनात्मकता उजागर होती ही है ... ...
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