ज़रा सी देर में दिलकश नजारा डूब जायेगा
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा
न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा
सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंजाम से वाक़िफ़
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा
समन्दर के सफ़र में क़िस्मतें पहलु बदलती हैं
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा
मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा
10 comments:
बहुत सुन्दर शेर है !
पूरी गज़ल लाजवाब है मगर कुछ शेर दिल को छू गये
समन्दर के सफ़र में क़िस्मतें पहलु बदलती हैं
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा
न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा
आपकी गज़ल पढ्ना बहुत अच्छा लगता है बधाई
न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा
वैसे तो पूरी गज़ल लाजवाब!!! पर ये एक शे'र तो सुबहानल्लाह!!!
बहुत खुब परवाज जी। दिल को छु गयी आपकी ये गजल।
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा
न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
kya baat hai bhut khub .
सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंजाम से वाक़िफ़
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा...|
वाह जनाब , बहुत खूब ...
बेहतरीन ग़ज़ल ...|
वाह जनाब , बहुत खूब ...
आपकी ये गजल दिल को छु गयी ।
बेहतरीन, आनन्द आ गया.
जतिन्दर जी इस रचना के लिए बधाई । आप बेहतरीन लिखते हैं ।शुभकामनएं
badiya..... behtareen
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