कुछ अरमान दिल में हमने भी सजाये हैंहम भी कुछ हैं दुनिया को बताना हैहमने भी सोचा है कुछ , कुछ हमने भी चाहा हैहम छुवेंगें बुलंदी को हमें आसमान को झुकाना हैमितायेंगें ये उंछ नीच की दिवार हमारी आरजू हर ख्वाब को हकीकत बनाना हैदुनिया के दस्तूरों से दूर एक प्यारा जहाँ बनाना हैजहाँ न हो भ्रष्टाचार धर्म मजहब और जाती पाती की बातें ,सिर्फ़ हो मानवता की पूजा सच्चाई और ईमानदारी का व्रतऐसा एक जहाँ हमें बसाना हैतोड़ कर राजनैतिक दीवारों को मिटा कर अमीरी गरीबी के मतभेद कोहमें मिलकर प्रेम गीत गाना हैप्रणय की वर्षा करके चाहत के फूल खिला कर क्लिष्ट और क्लान्ति मिटा करहमें स्रष्टि को महकना हैप्यार के फूल खिला कर मन से मन को मिला कर हमें ह्रदय की प्यास बुझाना है"आत्म गौरव हमारी इज्जत हमारी शान हैदुनिया से अज्ञानता, अंधविश्वास मिटाना हमारा अरमान hai"
मंगलवार, 22 सितंबर 2009
कुछ अरमान दिल में हमने भी --- --संतोष कुमार "प्यासा"
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
4 comments:
bahut sundar sapna h ise haqikat me badalne me lage rahiye
हमें स्रष्टि को महकना है
bahut badhiya
अच्छी लगी आपकी रचना ।
बहुत उम्दा रचना। बधाई....
एक टिप्पणी भेजें