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सोमवार, 17 अगस्त 2009

ये प्रेम है ......!!

ये प्रेम है ......!!
ये प्रेम है ......!!
दुख तो हर हाल में देगा।
तेरे साथ होने पर भी .....
तेरे जाने के मौसम मे भी!
सोचती हूँ ......!!
दुखी होना है अगर हर हाल में......
तो तेरे साथ में रह कर दुखी होना बहतर है ।
रोने को एक कन्धा तो होगा ......
दुश्मन ही सही.... अपना -सा एक बन्दा तो होगा !!
ये प्रेम है .........!!!
दुख तो हर हाल में देगा।
दुख से सुख की अनुभूती है।
प्रेम बिन ज़िन्दगी अधूरी है ।
प्रेम से सारी खुशिया है।
प्रेम बिन ज़िन्दगी सूखी भूमि है।
प्रेम है तो सुन्दरता है।
अनुभूती है ।
खुशिया है ।
दुख है ।
आंसू है ।
संवेदना है ।
सारे रिश्ते नाते है।
जो अपनापन समझता है !!
ये प्रेम है .......
दुख तो हर हाल में देगा !!
दुख तो हर हाल में देगा !!!

2 comments:

Unknown ने कहा…

गार्गी जी , प्रेम को आपने कविता का विषय बनाकर बेहतरीन प्रस्तुति दी है । बधाई

हिन्दी साहित्य मंच ने कहा…

बहुत बहुत आपका आभार।